आखिर क्यों भारतीय शास्त्रीय कलाकारों की दयनीय है हालत

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नेशनल डेस्क

कलाकार ना ही अपनी कला का प्रदर्शन कर पा रहे हैं ना ही किसी भी तरह की ट्यूशन क्लासेस ले पा रहे हैं
मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर द्वारा कई बार उनके लिए रिलीफ फंड्स के अनाउंसमेंट किए जा रहे हैं पर किसी भी तरह की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कुछ कलाकार जो की पूर्णता अपने परिवार के परिवार के लिए लिए मुख्य आय का स्त्रोत सिर्फ कला का प्रदर्शन और ट्यूशन क्लासेस के द्वारा ही करते हैं उनके लिए यह समय बहुत गंभीर है और चौंकाने वाली बात तो यह कि जो भारतीय शास्त्री कलाकार हैं इनके लिए ना ही कोई समूह ना कोई इकाई है संगीत नाटक एकेडमी द्वारा जब यह बातें पहुंचाई जाती है तो संगीत नाटक एकेडमी का कहना होता है या तो कोई अवॉर्डी हो या किसी भी तरह का कोई फोक आर्टिस्ट वह भी क्योंकि उनके अंडर नहीं आता है तो भारतीय शास्त्रीय मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर की एक मात्र जरिया है जो उनकी किसी भी तरह से मदद कर सकता है पर यह बहुत अच्छा बनता जा रहा है किसी भी तरह का कोई भी किसी भी तरह की कोई जॉब नहीं थे इस फिल्म में जो भी छोटे-मोटे जॉब से बहुत ज्यादा सोच भी नहीं होता बहुत ज्यादा से मिल भी नहीं पाते हैं यह बहुत मुश्किल समय हो गया है उनके लिए उनके जिंदा रहने के लिए और उनको यह भी समझ में नहीं आ पा रहे कि वह अपनी बात किससे कहें किस किस तक पहुंचाएं।
अब जानने लायक बात यह है कि सरकार की इतनी सारी नीतियों में क्या शास्त्री कलाकारों शास्त्री कार्यक्रम के लिए कोई नीति कोई किसी भी तरह की प्लानिंग है ?और अगर नहीं है तो क्योंकि पहले भी कलाकारों का कोई मुख्य स्थान नहीं है किसी भी तरह की जॉब की प्लानिंग नहीं है उनके फ्यूचर की प्लानिंग नहीं है जब प्रदर्शन के कार्यक्रम मिलते हैं उसमें भी उनका कोई गुजारा नहीं हो सकता क्योंकि वह बहुत ही कम होते हैं कलाकारों को वह नहीं मिल पाते हैं इस तरह के कलाकारों का यह स्तर की कला को भारतीय सभ्यता को बढ़ावा देती हैं भारतीय सभ्यता को जिंदा रखे हुए अगर उनके लिए कोई नीति नहीं है तो इस तरह के करियर को खत्म ही कर दे ताकि बेरोजगारी नही बढ़ेगी आगे आने वाली पीढ़ियां इस कला इस क्षेत्र को बढ़ाएंगे नहीं।

 

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