आखिर स्वास्थ्य कर्मचारियों ने क्यों बांधा काला-फीता

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रायबरेली-इप्सेफ (IPSEF) के आवाह्न पर ‘‘कालिंग अटेंशन अभियान’’ के द्वितीय चरण में आज 19 मई 2020 को हम कर्मचारियो ने काला-फीता बाॅधकर कार्य किया तथा जनवरी 2020, जुलाई 2020 और जनवरी 2021 में देय मंहगाई भत्ते की किस्तों पर लगी रोक तत्काल हटाये जाने, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नगर प्रतिकर भत्ता समेत 06 अन्य भत्तों को पहले फ्रीज करने और तत्पश्चात उन्हें समाप्त किये जाने सम्बन्धी आदेश को तत्काल समाप्त करते हुए सभी भत्तों की बहाली तथा सार्वजनिक सेवा क्षेत्र को मजबूत करने की माॅग की।


2- ज्ञातव्य है कि जब समूचे देश में सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें अनियंत्रित मूल्य-वृद्धि के कारण आसमान छू रही हैं, तो मंहगाई भत्ते को फ्रीज करने का निर्णय अन्यायपूर्ण, अनैतिक और मनमाना है, जो सभी लोकतांत्रिक मानदण्डों के विरूद्ध है। ऐसा सामंती युग के दौरान ही होता था। राज्य सरकारों द्वारा की गयी कटौती में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार सबसे अग्रणी भूमिका में खड़ी दिखायी देती है, जिसके द्वारा पहले नगर प्रतिकर भत्ते सहित अन्य 05 भत्तों को फ्रीज किया गया और तदोपरान्त नगर प्रतिकर भत्ता समेत 06 भत्तों को समाप्त करने का तुगलकी आदेश पारित कर दिया गया। इससे प्रदेश के कर्मचारियों का मनोबल बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यह तब है जब सार्वजनिक सेवा के कर्मचारियों ने पहले से ही एक दिन का वेतन के रूप में या अन्य माध्यमों से अपनी क्षमता के अनुरूप जो बन सके उतना अच्छा आर्थिक सहयोग सरकारी खजाने में किया है।

3- अर्थ व्यवस्था को गति देने के दृष्टिकोण से भी सार्वजनिक सेवा के कर्मचारियों को और देश के आम लोेगों के लिये भी उनको देय राशि का भुगतान करना आवश्यक है। इसके मद्देनजर, मैं आपसे कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता और पेंशनरो को मंहगाई राहत यथाशीघ्र बहाल करने की मांग करी।

साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध करता हूँ कि समाप्त किये गए 6 भत्ते पुनः बहाल किये जायें ।
साथ ही उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारियो को केंद्र के समान सभी भत्ते भी दिए जाएं ।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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