आठ हजार से ज्यादा वोटर हैं जिला पंचायत सीट पर

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  • इन्दिरा गांधी , राहुल गांधी और प्रदेश के मुख्य सचिव आ चुके हैं मुढारी

  • जल संकट जस का तस , पलायन बन रहा है मजबूरी

  • अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो , बिटिया कीजो तो मुढारी न दीजो

राकेश कुमार अग्रवाल की विशेष रिपोर्ट

कुलपहाड ( महोबा ) । जल ही जीवन है। लेकिन इसी जल की जद्दोजहद ने मुढारीवासियों का जीना मुहाल कर रखा है। आजादी की हीरक जयंती का वक्त करीब आ रहा है दूसरी ओर हमारी व्यवस्था हमारे हुक्मरान आजादी के ७३ वर्षों बाद भी पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा को भी मुहैया नहीं करा पाए हैं।

मुढ़ारी कुलपहाड का निकटवर्ती गांव है। आठ हजार मतदाताओं वाले इस गांव को जिला पंचायत सीट भी बनाया है।

भारत – चीन युद्ध के दौरान १९६२ में तत्कालीन सूचना मंत्री इंदिरा गाँधी मदद मांगने मुढारी आ चुकी हैं। इसी गांव के वासियों ने इंदिरा का तुलादान किया था। दो वर्ष पूर्व कांग्रेस नेता व इंदिरा के नाती राहुल गांधी यहां चौपाल लगा चुके हैं। प्रदेश सरकार के एक मुख्य सचिव भी यहां चौपाल लगा चुके हैं। लेकिन फिर भी इस गांव की पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है। गर्मियों में यह समस्या और विकराल रूप ले लेती है। पानी भरने में दिन रात एक करने वाली महिलाओं को तो लगता है कि उन्हें जैसे अभिशाप मिला हो। एक छात्रा तो दिन दिन भर पानी भरने से इतना आजिज आ चुकी है कि अपनी वेदना कुछ इस तरह जाहिर करती है कि ” अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो, बिटिया कीजो तो मुढारी न दीजो “।

सात दिनों से जलापूर्ति ठप, ट्रेक्टरों पर ड्रमों से ढोया जा रहा पानी – देवेन्द्र राठौर

देवेन्द्र राठौर

गांव के देवेन्द्र राठौर के अनुसार सरकार हर खेत को पानी और हर हाथ को काम देने की बात करती है दूसरी ओर गांव के लोग बूंद बूंद पानी को तरस रहे . ट्रेक्टरों में ड्रमों को लादकर पानी ढोना पड रहा है . हफ्तों जलापूर्ति नहीं होती . दस दिन से जल संस्थान के खंभे टूटे पडे हैं. बेलाताल के पंप हाउस के खंभे टूटे पडे हैं , तार क्षतिग्रस्त हो गया है. ऐसे में पलायन ही रास्ता नजर आता है.


न जनप्रतिनिधि न अधिकारी किसी को सुध नहीं – शेलेन्द्र राजपूत

शैलेंद्र राजपूत

शेलेन्द्र राजपूत के अनुसार जब चुनाव आते हैं तो सभी पार्टियों के नेता पानी की समस्या का स्थाई समाधान कराने की बात करते हैं लेकिन कोई भी राजनीतिक दल का नेता मुढारी के लोगों की समस्या का निराकरण नहीं करा सका . शेलेन्द्र के अनुसार मुढारी में कोई भी जलसंकट के कारण अपनी बेटी ब्याहना नहीं चाहता.

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