कृष्ण चरित्र में जो यश प्रदान करे, वो यशोदा

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प्रतापगढ़। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोलोकवासी पंडित राम लखन पाठक के निज निवास ग्राम रोहाना में श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ की अमृत वर्षा हो रही है।

श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी से पधारे परम श्री वैष्णव आदि केशव रामानुज दास ने आज भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान के अवतार के छठे दिन ही पूतना मारने के लिए आ गई। परब्रह्म ने सोचा कि रामावतार में सबसे पहले ताड़का का वध किया और आज पूतना मौसी आ गई उसका भी उद्धार किया। 6 महीने के उत्सव में सकठासुर का भगवान ने उसका कल्याण किया। गुरु गर्गाचार्य ने भगवान श्री मननारायण के अवतार प्रभु का नामकरण एवं शेषावतार बलराम जी का नामकरण किया।

माता यशोदा के आंगन में परब्रह्म अपने बाल लीलाओं को कर रहे हैं। “यशं ददाति इति यशोदा:” श्री कृष्ण चरित्र में जो यश प्रदान करें उसे यशोदा कहते हैं। राधा रानी की मां का नाम कीर्ति है। “कीर्ति: ददाति इति कीर्तिदा” जो कीर्ति दे वह कीर्तिदा है। कीर्ति माने यश और यश माने कीर्ति। कितना भी यज्ञ अनुष्ठान तपस्या करिए यदि मन में प्रेम नहीं है तो गोविंद नहीं मिलेगा गोविंद की प्राप्ति का साधन केवल प्रेम है।

नंद बाबा के दरवाजे पर दो वृक्ष हैं एक दिन माता ने उन्हें ओखली सहित उन वृक्षों से बांध लिया भगवान ने कुबेर के उन दोनों को उस वृक्ष को गिराकर कुबेर के पुत्रों का कल्याण किया। वत्सासुर ,बकासुर, अघासुर, का कल्याण करके ब्रह्मा का अभिमान दूर किया। कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गायों का पूजन करा कर के आप गोपाल बने। कालिया नाग का मर्दन किया। गोपीकायें जमुना जी में नग्न होकर स्नान करती थी। आपने समझाया वेद कहता है नग्न होकर स्नान नहीं करना चाहिए। गोपीकाओं ने मजाक उड़ाया।

भगवान ने उनका वस्त्र हरण किया। वस्त्र हरण का अर्थ क्या है? कृष्ण है ईश्वर, गोपी है जीव, वस्त्र है अविद्या, कृष्ण रूपी ईश्वर ने जीव रूपी गोपियों के अविद्या रूपी वस्त्र को चुराया था। कोई लहंगा फरिया या धोती नहीं चुराया था। सात दिन सात रात 7 वर्ष के कन्हैया ने गोवर्धन पर्वत को अपने बाएं हाथ की अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को धारण किया। इन्द्र ने अगाध जल वृष्टि कराया। अंत में सुरभि नामक गाय के दूध को ऐरावत के सूंड में भरकर के भगवान का अभिषेक किया और साष्टांग करने के पश्चात गोविंद नाम से आपकी पूजा किया।

धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास व्यासपीठ से अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण करके सम्मानित किया गया धर्माचार्य ने कहा भगवान की लीलाएं अनंत है, भगवान की कथा अनंत है। चिंता छोड़ो और चिंतन करो तभी कन्हैया की प्राप्ति होगी।

मुख्य यजमान के रूप में विनोबा जी के शिष्य मणिलाल भाई पाठक संतोष दुबे पूर्व सभासद डॉक्टर हरीश पाठक सतीश पांडे यज्ञाचार्य अयोध्या धाम शंकर दयाल ज्योतिषाचार्य बसंत जी वृंदावन शिवम आर्यन अंकुर जी महेश कुमार नरेंद्र जी भीष्म नारायण जोशी आशीष जी श्रीमती शोभा पाठक अजय पाठक रामनरेश पांडे रामकृष्ण रामानुज दास कमलेश पाठक ज्ञानेश्वर पाठक वीडीसी सत्यदेव पाठक बालकृष्ण पाठक गोपीनाथ पाठक सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा

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