कोरोना जागरूकता के साथ मनाई गई वीर शिरोमणि आल्हा की जयंती

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  • अमर आल्हा की 881 वी जयंती पर प्रतिमा के मुह में मास्क बांध बताया उसका महत्व

  • युवाओं ने अन्य महापुरुषों की प्रतिमाओं को भी मास्क से ढका

  • रिपोर्ट – H. K. Poddar

महोबा– बारहवीं शताब्दी के महान योद्धा,चंदेल सेनानायक,महाबली “आल्हा” की जयंती सोमवार को कोरोना जागरूकता अभियान के साथ अनूठे अंदाज में मनाई गई। स्वयंसेवी संगठन बुंदेली समाज के युवा कार्यकर्ताओ ने इस अवसर पर यहां गजारूढ़ आल्हा के विशाल स्टेच्यू समेत अन्य प्रतिमाओं के चेहरे पर मास्क बांध लोगो को भयावह बीमारी से बचाव हेतु इसकी अनिवार्यता का एहसास कराया।

वैश्विक महामारी बन कर सामने आये कोविड 19 के कारण चल रहे लाकडाउन में सभी प्रकार की सामाजिक, राजनैतिक तथा धार्मिक गतिविधियों के प्रतिबंधित होने के चलते जयंती, जुलूस आदि के आयोजन भी ठप है। परंतु अमरता का वरदान पाए वीर आल्हा को समूचे बुंदेलखंड में देव पुरुष मान कर पूजा जाने के चलते यहां लोगो मे उनके प्रति विशेष श्रद्धा और मान्यता है। यही वजह है कि मौजूदा कोरोना संक्रमण काल मे भी आल्हा की 881वीं जयंती को महोबा में बुंदेली समाज के युवाओं ने अनूठे तरीके से जनमानस को खास सन्देश देने के अंदाज में धूमधाम से मनाया।

बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकार ने बताया कि संगठन के कार्यकर्ताओ ने मुख्यालय के प्रमुख चौराहों पर स्थापित इतिहास के महा नायकों आल्हा, ऊदल, झलकारी बाई, चंद्रावल, परमाल, सुभाष चन्द्र बोस, चंद्र शेखर आजाद, पंडित परमानंद आदि की प्रतिमाओं में पुष्पांजलि अर्पित कर उनके चेहरे पर मास्क बांधा। तारा पाटकार ने कहा कि कोविड 19 से बचाव के लिए मुह में मास्क बांधना, सोसल डिस्टेंसिंग का पालन करना को महत्वपूर्ण बताया गया है। सभी से इन दो बिंदुओं पर खास ध्यान देने की लगातार अपील भी की जा रही है। आल्हा जयंती पर महापुरुषों की प्रतिमाओं के चेहरे पर मास्क बांध कर बुंदेली समाज ने भी आम नागरिकों को सन्देश देने का प्रयास किया है। कार्यकर्ताओ ने लाकडाउन के नियम निर्देशो का पालन करते हुए पूरे कार्यक्रम को पारंपरिक तरीके से सम्पादित किया।

आल्हा परिषद के संयोजक शरद तिवारी दाऊ ने बताया कि इतिहासकारों द्वारा वीर शिरोमणि आल्हा की जन्म तिथि 25 मई 1140 बताई जाती है। वह अप्रतिम शूरवीर ओर बारहवीं सदी के गौरवशाली चंदेल साम्राज्य के सेनापति थे। कहा जाता है कि मैहर की शारदा माता के उपासक आल्हा को अमरता का वरदान प्राप्त था। आज भी हर रोज भोर होने से पहले शारदा देवी का प्रथम पूजन आल्हा द्वारा किये जाने की लोगो मे किवदंति प्रचलित है। दाऊ तिवारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में शिक्षा परिषद के निदेशक रहे भजन लाल महोबिया द्वारा उक्त तिथि पर प्रतिवर्ष मैहर में आल्हा जयंती का विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर आयोजित आल्हा गायन प्रतियोगिता में देश के जाने-माने आल्हा गायक हिस्सा लेते है।

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