रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ)कोरोनेवायरस (कोविड-19)के प्रसार पर तभी से नजर रख रहा है जब वैश्विक मीडिया ने चीन के वुहान प्रांत में इसके विनाशकारी प्रभाव की रिपोर्टिंग शुरू की थी। डीआरडीओ ने भारत में बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिरोधी उपायों को बेहतर करने के प्रयास मार्च 2020के पहले सप्ताह में ही शुरू कर दिए थे। उस समय तक भारत में इस बीमारी से संक्रमित लोगों की संख्या 30के पार पहुंच चुकी थी। यदि कोविड-19 एक गंभीर संकट बनता है तो उससे निपटने के लिए डीआरडीओ महत्वपूर्ण चिकित्सा आवश्यकताओं के समाधान के लिए बड़े पैमाने पर आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अपने केंद्रित दृष्टिकोण के कारण डीआरडीओ कोरोना के खिलाफ लड़ाई में फिलहाल चार अलग-अलग वस्तुओंकी तैनाती के लिए तैयार है।
हैंड सैनिटाइजर
हैंड सैनिटाइजर कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए एक बुनियादी साधन है जिसे अब डीआरडीओ खुद तैयार कर रहा है। मार्च के तीसरे सप्ताह तकबड़े पैमाने पर इसका उत्पादन किया गया और राजधानी के अंतर प्रमुख कार्यालयों एवं संस्थानों में वितरित किया गया। करीब 4,000 लीटर हैंड सैनिटाइजर भारतीय सशस्त्र बलों,सशस्त्र बल चिकित्सा कोर और रक्षा सुरक्षा कोरको उपलब्ध कराया गया है। जबकि रक्षा मंत्रालय को 1,500 लीटर, संसद को 300 लीटर और विभिन्न सुरक्षा संस्थानों एवं कार्यालयों को500लीटर हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध कराया गया है ताकि स्वच्छता संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सके और प्रशासन संक्रमण के डर के बिना काम कर सके।
वर्तमान परिदृश्य मेंदिल्ली पुलिस कानून-व्यवस्था की स्थिति संभाल रही है, इसलिए उन्हें सुरक्षित रखने के लिएडीआरडीओ ने तीन प्लाई वाले 20,000 मास्क और 1,000 लीटर हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध कराया है। साथ ही, डीआरडीओ ने दिल्ली के चारों ओर लगभग 40 नाकों पर दिल्ली पुलिस को हैंड सैनिटाइजर वितरित किए हैं।
डीआरडीओसंबंधित विभागों अथवा संस्थानों को जरूरत पड़ने पर बड़ी मात्रा में हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। डीआरडीओ प्रयोगशाला, रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (डीआरडीई), ग्वालियर ने अपने कर्मचारियों और सरकारी कार्यालयों/ मंत्रालयों की शुरुआती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 20,000 लीटर हैंड सैनिटाइजर का उत्पादन किया है। इस बीचडीआरडीओ ने मैसर्स ग्वालियर एल्को ब्रु प्राइवेटट लिमिटेड,ग्वालियर को डब्ल्यूएचओ के इस फॉर्मूलेशन के लिए वेंडर (डीआरडीईग्वालियर तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है, गुणवत्ता जांच के लिए वैज्ञानियों को कंपनी में तैनात किया गया है) के रूप में पहचान की है। इसकी कुल क्षमता 200से 500 मिलीलीटर की बोतलों में कुल 20,000 से 30,000 लीटर प्रति दिन उत्पादन की है। इसकी लागत 120 रुपये प्रति लीटर (जीएसटी सहित) से कम है।
वेंटिलेटर
चूंकि कोविड-19 श्वसन कार्यों को प्रभावित करता है, इसलिए भविष्य की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुएडीआरडीओ के सोसायटी फॉर बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी (एसबीएमटी) कार्यक्रम को वर्तमान परिस्थिति में पर्याप्त आपूर्ति करने के लिहाज से संशोधित किया गया है। डिफेंस बायो-इंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रो मेडिकल लेबोरेटरी (डीईबीईएल), बैंगलोर (डीआरडीओ की प्रयोगशाला) ने गंभीर देखभाल वेंटिलेटर के उत्पादन के लिए एक वेंडर (मैसर्स स्कैनरे टेक प्राइवेट लिमिटेड, मैसूर) की पहचान की है। इसे ब्रीथ रेग्यूलेटर्स, प्रेशर/ फ्लो सेंसर आदि मौजूदा प्रौद्योगिकी के उपयोग से करके बनाया गया है।
वर्तमान में‘मल्टी पेशेंट वेंटिलेटर’बनाने के लिए नवाचार चल रहा है। इससे कई रोगियों को एक ही वेंटिलेटर द्वारा उपचार किया जा सकता है। यह नवाचार एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध होने की उम्मीद है। पहले महीने में लगभग 5,000 वेंटिलेटर का उत्पादन किया जाएगा और बाद में 10,000 का। डीआरडीओ ने महत्वपूर्ण कलपुर्जों की आपूर्ति के लिए स्थानीय विकल्प की पहचान की है। सचिव (फार्मास्युटिकल्स) इसके उत्पादन के लिए डिजाइन हस्तांतरण के लिए नौ कंपनियों और घटकों के निर्माण के लिए श्री आनंद महिंद्रा की पहचान पहले ही कर चुके हैं। प्रत्येक वेंटिलेटर की कीमत लगभग चार लाख रुपये होगी।
एन99 मास्क
नैनो जाल की दो परतों के साथ पांच परत वाले एन99 मास्क बहुत उन्नत हैं। कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए यह एक महत्वपूर्ण वस्तुहै। इसके उत्पादन वेंडर मैसर्स वीनस इंडस्ट्रीज मुंबईऔर मैसर्स आईएमटीईसी कोलकाता हैं। इनकी क्षमता प्रति दिन 10,000 एन99 मास्क तैयार करने की है। इनके लिए सामग्री अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज रिसर्च एसोसिएशन से आपूर्ति की जा रही है जो पहले से ही एन95 मास्क के लिए बहुत सारे सरकारी आदेश हासिल कर चुकी है। इस मास्क की कीमत 70 रुपये प्रति पीस है।
बॉडी सूट
डॉक्टरों, चिकित्सा कर्मचारियों, सफाई कर्मचारियोंआदि के लिए बॉडी सूट एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है ताकि वे अपने काम के दौरान कोविड-19 के संपर्क में न आने पाएं। इससे पहलेडीआरडीओने इस बॉडी सूट को रेडियोलॉजिकल आपातकाल में काम करने के लिए मेडिकल एवं पैरामेडिकल स्टाफ के लिए विकसित किया था। इसे अबसंक्रमण को रोकने के लिए फुल बॉडी सूट के रूप में परिवर्तित किया गया है। इस सूट को धोया जा सकता है और यह एएसटीएम अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा है। डीआरडीओ एवं अन्य एजेंसियों द्वारा इस सूट का व्यापक परीक्षण किया गयाऔर इसे उपयुक्त पाया गया। मैसर्स फ्रंटियर प्रोटेक्टिव वियर प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता को यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की गई है और वह पहले से ही कपड़ा मंत्रालय के साथ काम कर रही है। मैसर्स मेडिकिट प्राइवेट लिमिटेड मुंबई रोजाना 10,000 सूट का उत्पादन कर रही है। प्रत्येक सूट की कीमत 7,000 रुपये है।