सच पर हमला
घात लगाकर बैठे चार हमलावरों ने किया प्राणघातक हमला बाल-बाल बची जान
गुरबख्शगंज (रायबरेली) – भ्रष्टाचारी, क्षेत्र में वर्चस्व कायम करना, पत्रकारिता का गला घोटना, सच पर वार करना, लोकतंत्र के साथ मजाक यह सारी हकीकत रायबरेली में सामने आ गई। एक साप्ताहिक समाचार पत्र के क्षेत्रीय संवाददाता शैलेश कुमार पर हुए प्राणघातक हमले ने यह जतला दिया है की चौथा स्तंभ भ्रष्टाचारियों के लिए कोई मायने नहीं रखता साथ में माननीय हाईकोर्ट के उस आर्डर की भी धज्जियां उड़ गई जिसमें कहा गया था पत्रकारों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं होगा जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की हामी भरी थी और कहा था उत्तर प्रदेश में किसी भी पत्रकार पर हुआ अत्याचार अब बर्दाश्त नहीं करेंगे।
क्षेत्रीय भ्रष्टाचारी खबरों को लिखना पड़ा भारी संगठित होकर पत्रकार पर करवाया हमला
आमतौर पर पुलिस प्रशासन की पकड़ किस तरह कमजोर होती है इसका खुलासा तो होता रहता है। लेकिन जब पत्रकारों की कलम को ही तोड़ा जाएगा तो सच कौन लिखेगा? गांव और क्षेत्रों में पनप रहे उन भ्रष्टाचारियों की हकीकत कैसे सामने आएगी इसका बड़ा सवाल सीधे रायबरेली के जिला प्रशासन से है। राष्ट्रीय कवच अखबार के संवाददाता शैलेश कुमार पर हुआ हमले के विषय में जब संस्थान से जानकारी ली गई तो यह पता चला है विगत कई बार क्षेत्र की भ्रष्टाचारी खबरें प्रकाशित की गई थी जिससे भ्रष्टाचारी पूरी तरह से घात लगाए हुए बैठे थे। हमले को बड़ी ही गुपचुप तरीके से रचा गया पत्रकार के परिवार में ही चली आ रही रंजिश को हथियार बनाया गया और उनके ऊपर प्राणघातक हमले की साजिश उसी रंजिश का एक दूसरा पहलू है। लेकिन सवाल यह उठता है कि कोई कैसे कानून को अपने हाथ में ले सकता है?
क्या सच लिखना अपराध हो गया है? रायबरेली पुलिस अधीक्षक बताएं
रायबरेली में पत्रकारों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं सच का गला घोटने के लिए सामूहिक रूप से प्रयत्न जारी है। हुए हमले ने यह साफ दिख ला दिया है रायबरेली में कानून व्यवस्था की कद्र हमलावर नहीं कर रहे हैं उन्होंने जिसको अपने राडार पर लेना था ले लिया चाहे वह पत्रकार हो या अन्य कोई।ऐसे में रायबरेली पुलिस अधीक्षक से यह पूछना मुनासिब होगा क्या सच लिखना अपराध हो गया है?
मीडिया के कई संस्थानों ने गलत ढंग से खबरें प्रकाशित की
वेब पोर्टल पर कई खबरें निराधार है जिसमें यह बताया गया है कि शैलेश कुमार पत्रकार ही नहीं है, जब जानकारी की गई और खबर की सटीकता को पैमाने पर नापा गया तो पता पता चला शैलेश कुमार क्षेत्रीय संवाददाता है और वह राष्ट्रीय कवच अखबार के लिए काम करते हैं। राष्ट्रीय कवच अखबार अक्सर भ्रष्टाचार के विरुद्ध खबरें प्रकाशित करते आया है इससे भ्रष्टाचारियों के मन में खौफ भी रहता है। शैलेश कुमार संवाददाता राष्ट्रीय कवच के नाम अथॉरिटी लेटर के साथ उनका आईडी कार्ड भी है इससे यह साफ होता है वह साप्ताहिक अखबार में संवाददाता है। उन तमाम वेब पोर्टल पर चल रही खबरें निरर्थक हैं वह खबरें छापने में पोर्टल पूरी तरह से तथ्यों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं उन्हें सबसे पहले पत्रकारिता का ज्ञान होना चाहिए और नपे तुले तथ्य के साथ ही खबरें प्रकाशित करनी चाहिए।
गुरबख्शगंज पुलिस का क्या कहना? मामले को बता दिया परिवारिक रंजिश
रायबरेली पुलिस पहले से ही मामले को छुपाने में और दबाने में एक्सपर्ट रही है पत्रकार पर हुए हमले के बाद फिर उसने यही किया। माननीय हाईकोर्ट के निर्देशों का ना ही पालन किया गया और ना ही प्राणघातक हमले पर त्वरित रूप से जांच की गई। पीड़ित पत्रकार जिला अस्पताल में भर्ती है उसका इलाज चल रहा है लेकिन पुलिस ने मामले को रफा-दफा करने में जरा भी देरी नहीं की अनुचित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया जिससे जल्द से जल्द एफआर लगा कर मामले को खत्म किया जाए। विदित हो कि रायबरेली के पत्रकारों पर पहले भी हमले हो चले हैं ऐसे में रायबरेली पुलिस से सवाल यही है क्या पत्रकारिता का फर्ज निभाना गुनाह है!
राष्ट्रीय कवच समूह ने कहा मुख्यमंत्री तक हुई घटना को पहुंचाएंगे
राष्ट्रीय कवच समूह ने कहा है पत्रकार और पत्रकारिता पर हुआ हमला लोकतंत्र पर हमला है। यदि क्षेत्रीय स्तर की खबरे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक नहीं पहुंचेगी तो वह जमीन की हकीकत कैसे जानेंगे! जब भ्रष्टाचारी दानव सिस्टम के साथ मिलकर लूट रहे हैं। राष्ट्रीय कवच पुलिसिया कार्यशैली से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है हमारे पत्रकार पर हुआ हमला निंदनीय है हम इसकी घोर निंदा करते हैं हम इस परिस्थिति में अपने क्षेत्रीय संवाददाता के साथ खड़े हैं न्याय के लिए हम जरूरी जतन भी करेंगे। सारे घटनाक्रम एफआईआर की कॉपी हम मुख्यमंत्री कार्यालय से साझा करेंगे तथा राजधानी में मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों तक अपनी बात को रखेंगे और कार्यवाही की मांग करेंगे। हम मांग करते हैं हमारे पत्रकार पर हुआ हमला प्राणघातक है, संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए जिससे बेलगाम अपराधियों को सजा मिल सके।
– राष्ट्रीय कवच, साप्ताहिक अखबार रायबरेली