खादी ग्रामोद्योग आयोग के ट्रेनीज बांट रहे मॉस्क एवं सैनिटाइजर

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चित्रकूट। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव को लेकर हर हाथ गरीबों की मदद को हो उठ रहे हैं। ताकि देश में हुए 21 दिनों के लॉकडाउन में गरीब एवं निराश्रितों को परेशानी से बचाया जा सके। कोरोना से बचाव के लिए गरीब वर्ग के पास मास्क और सैनिटाइजर की सुविधाएं नहीं के बराबर है।

कोरोना वायरस के फैलाव की गति को देखते हुए मास्क की मांग बढ़ रही है। इसके लिए दीनदयाल शोध संस्थान के उद्यमिता विद्यापीठ द्वारा संचालित खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग प्रशिक्षण केंद्र के ट्रेनीज प्रशिक्षकों के साथ मिलकर परिक्रमा मार्ग, हनुमान धारा एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मास्क एवं हैंड सैनिटाइजर जरूरतमंदों को वितरित कर रहे हैं। खादी ग्रामोद्योग आयोग के अंतर्गत सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त करके अपने स्वयं के रोजगार से जुड़े हुए ट्रेनीज आज जरूरत के समय संस्थान के सहयोग और स्व प्रेरणा से स्वयं तैयार करके लोगों को निशुल्क बांट रहे हैं।

इस दौरान खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के प्रशिक्षक एवं ट्रेनीज जगह-जगह कोरोना महामारी से बचाव को लेकर जन जागरूकता का भी कार्य कर रहे हैं, साथ ही जीव-जंतुओं और निराश्रितों को भी भोजन में सहयोग कर सेवा कार्य में लगे हुए हैं।

खादी ग्रामोद्योग आयोग प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य मनोज सैनी ने कोरोना वायरस के प्रति जागरूक करते हुए बताया कि जितना हो सके घर से बाहर ना निकले। किसी कारण घर से निकल रहे हैं तो आप मास्क आदि लगाकर निकले और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करें। आप घर में भी है तो साबुन से बार-बार हाथ धोएं, गर्म पानी पिए और सर्दी, खांसी, बुखार होने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें।

दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन के.व्ही.आई.सी. की टीम के साथ सहयोग कर रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने लोगों से अपील में कहा कि सजगता, सतर्कता, सावधानी और समझदारी ही नोबेल कोरोना वायरस से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है। इसलिए सभी लोग अपने घरों में रहें, सुरक्षित रहें। संक्रमण के इस आपदा काल में हमें लॉकडाउन का पालन पूरी तरह करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि चित्रकूट क्षेत्र में जिस प्रकार सामाजिक कार्यकर्ताओं और सेवाभावी लोगों ने प्रशासन के सहयोग से अपना समाज धर्म निभाने के लिए आगे आए हैं, ऐसे संकट काल में उनके सारे कार्य सराहनीय और प्रशंसनीय है। सेवा से बड़ा कोई परोपकार नहीं है, सेवा चाहे मानव जीवन की हो या निराश्रित जीव जंतुओं की। वैश्विक महामारी कोरोना से संकट की इस घड़ी में हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें और दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें।

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