घरार नदी से अवैध कब्जे हटाने की मांग की श्रमदानियों ने, टूटे पड़े चैकडैमों को दुरुस्त कराने की मांग

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राशन लेकर पहुंचे कई गांवों के लोग, पकाया साथ में खाया

सामाजिक समरसता की लिखी अनूठी इबारत

राकेश कुमार अग्रवाल

बांदा। श्रमदान से मृतपाय नदी को पुनर्जीवित करने वाले श्रमदानियों के समर्थन में जुटे तमाम गांवों के बाशिंदों ने साथ मिलकर सामाजिक समरसता की नई इबारत लिख डाली। अपने साथ राशन लेकर आए समर्थकों के साथ सभी ने साथ मिलकर पकाया और खाया।

बांदा जिले के नरैनी विकास खंड के बिल्हरका ग्राम पंचायत का मजरा है भांवरपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने के लिए लागू हुए लाकडाउन के कारण रोजी रोजगार ठप हो जाने के बाद दिल्ली , मुम्बई, पंजाब व हरियाणा से वापस अपने गांव लौटकर आए मेहनतकशों के प्रयासों से घरार नदी पुनर्जीवित हो उठी है।

शनिवार को आसपास के गांवों से जुटे ग्रामीणों , सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं व मेहनतकशों की एक बैठक हुई। बैठक में घरार नदी पर बडे काश्तकारों द्वारा किए गए अवैध कब्जों को तत्काल हटवाने की मांग की गई। कब्जा न हटाने की दशा में अवैध कब्जा धारकों का सामाजिक बहिष्कार करने का संकल्प पेश किया गया। भांवरपुर के महेश प्रसाद के अनुसार एक समय घरार नदी की चौडाई ४० हाथ से अधिक थी. लेकिन अतिक्रमण के चलते यह नदी अब नाला में तब्दील हो गई है। वन विभाग, व लघु सिंचाई विभाग ने इस नदी में जगह जगह दो दर्जन से अधिक चैकडैम बना दिये। चैकडैमों की हालत खस्ता है। श्रमदानियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्काल सभी चैकडैमों को दुरुस्त कराए जाने की मांग की ताकि जल संग्रहण हो और पानी की बरबादी पर रोक लगे।

शनिवार को रानीपुर, बाबूपुर व कनाय के दर्जनों लोगों ने मौके पर पहुंचकर श्रमदान में हिस्सा लिया। इस मौके पर विक्रम, अयोध्या, रामसुमन, अन्नू, रामभरोसी, राजाराम रानीपुर के नत्थू , राजकरण , रामप्रसाद, चिंगारी संगठन की मीरा राजपूत, ललता, अर्चना, सुरेश कुमार, वेदप्रकाश, व विद्याधाम समिति के राजा भैया ने श्रमदानियों की हौसला अफजाई की।

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