चर्चित विकरु कांड में जेल में बंद निर्दोष महिलाओं को तुरंत रिहा करे यूपी सरकार – परशुराम उपाध्याय सुमन

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अखिल भारतीय ब्राह्मण परिषद सहित ब्राह्मण संगठनों ने राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की उठाई मांग

रिपोर्ट – अवनीश कुमार मिश्रा

प्रतापगढ़। अखिल भारतीय ब्राह्मण परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता पंडित परशुराम उपाध्याय सुमन ने उत्तर प्रदेश सरकार से उन निर्दोष चारों महिलाओं श्रीमती क्षमा दुबे, श्रीमती शांति दुबे, श्रीमती खुशी दुबे एवं श्रीमती रेखा अग्निहोत्री एवं उसके ढाई साल के मासूम बच्चे को तुरंत रिहा करने की मांग की है, जिन्हें पिछले 10 महीने से कानपुर के चर्चित विकरु कांड में विधि विरुद्ध जेल में बंद किया गया है। इस संबंध में देश के कोने कोने से सूचनाएं प्राप्त हो रही है अन्य तमाम ब्राह्मण संगठनों ने भी उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि इन निर्दोष महिलाओं को तत्काल जेल से रिहा किया जाए।
सूत्रों से जानकारी मिली है कि कानपुर का विक्रम कांड पूरे देश में चर्चित हुआ था। उस कांड में बिकरू गांव में कथित अपराधी विकास दुबे एवं उसके साथियों द्वारा पुलिस अधिकारी सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश शासन की मंशा के अनुरूप पुलिसिया कार्यवाही के अंतर्गत विकास दूबे, अमर दुबे व हीरू दुबे सहित 6 लोगों को अपराधी मानते हुए एनकाउंटर कर दिया गया था।

लेकिन उल्लेखनीय है कि उस कांड के बाद पुलिसिया तांडव के अंतर्गत बिना किसी अपराध के हीरो दुबे की मां शांति दुबे, अमर दुबे की मां क्षमा दुबे और उसकी नवविवाहिता पत्नी खुशी दुबे तथा विकास दुबे की नौकरानी रेखा अग्निहोत्री तथा उसके ढाई साल के मासूम बच्चे को न जाने किन परिस्थितियों में विधि विरुद्ध पिछले 10 माह पहले जेल में बंद कर दिया गया। जेल में बंद इन सभी महिलाओं का अपराध की दुनिया से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है। न तो इनका कोई अपराधिक इतिहास है और न विकरू कांड की एफ आई आर में इनका बतौर अपराधी कहीं नाम ही अंकित है। इन बेचारी महिलाओं का सिर्फ इतना दोष है कि ववेकथित अपराधी विकास दुबे व अमर दुबे आदि के घर की महिलाएं हैं। और जब विकास आदी की कथित अपराधिक गतिविधियों पर पुलिस प्रशासन नियंत्रण नहीं कर पाया तो उनके घर की महिलाओं की कहां हिम्मत थी कि वे किसी प्रकार से अंकुश लगा पातीं।

आश्चर्य है कि फिर भी इन निर्दोष महिलाओं को पिछले 10 वर्षों से जेल में क्यों बंद किया गया है? उस बेचारे निर्दोष ढाई साल के मासूम बच्चे को भी जेल में बंद करना मानवीय दृष्टिकोण से किसी भी दशा में न्यायोचित नहीं है।

उल्लेखनीय है कि जब इन निर्दोष महिलाओं को पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने पर मीडिया ने उछाला तो अपर पुलिस अधीक्षक कानपुर दिनेश कुमार ने बयान दिया था कि खुशी दुबे बिल्कुल निर्दोष है, उसको तत्काल रिहा कर दिया जाएगा, लेकिन वह भी 10 माह से अभी तक जेल में क्यों बंद है, इसका कोई जवाब सरकार के पास नहीं है।

कानपुर के चर्चित बिकरू कांड के अंतर्गत इन निर्दोष महिलाओं को बलात जेल में बंद कर देना संविधान एवं कानून व्यवस्था को ध्वस्त करने की परिधि में आता है।

नारी सशक्तिकरण का ढिंढोरा पीटने वाली उत्तर प्रदेश सरकार, महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को नजरअंदाज करके आंख मूंद ले, यह न तो उसके लिए शुभकारी है और न भविष्य की राजनीति के लिए ही शुभ संदेश है।

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल भी विदुषी महिला हैं, उनसे भी महिलाओं को बड़ी आशाएं हैं। निरपराध जेल में बंद इन बेचारी महिलाओं को अकारण मानसिक, शारीरिक व आर्थिक दंड देने की प्रक्रिया पर चिंतन करके अंकुश लगाने की जिम्मेदारी भी राज्यपाल महोदया की बनती है।

उत्तर प्रदेश की महिला राज्यपाल महोदया से अखिल भारतीय ब्राह्मण परिषद पुरजोर मांग करता है कि इस अन्याय पूर्ण प्रकरण में हस्तक्षेप करते हुए कानपुर के विकरु कांड में पिछले 10 महीनों से जेल में बंद निर्दोष महिलाओं व ढाई साल के मासूम बच्चे को जेल से तुरंत रिहा कराने में महती भूमिका निभाएं।

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