चार रेल खण्डों में लागू होगी यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली

15

राकेश कुमार अग्रवाल

नई दिल्ली। हावड़ा और नई दिल्ली -मुम्बई में रोलआउट से पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में झाँसी-बीना सहित भारतीय रेल के 04 खंडों में आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली व यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली लेवल 2 का कार्यांवयन किया जाएगा।

लॉकडाउन के चलते उत्तर मध्य रेलवे प्रशिक्षण, सेमिनार, बैठक, कॉन्फ्रेंस के आयोजन के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्मों का प्रयोग कर रहा है।

उत्तर मध्य रेलवे के संकेत एवं दूरसंचार विभाग के वेब-आधारित सेमिनार में यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली (ETCS) लेवल -2 पर वेब-आधारित सेमिनार का आयोजन किया गया है। यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली एक संरक्षायुक्त, कुशल और तेज परिवहन वाली आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली है। महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे और उत्तर रेलवे राजीव चौधरी की अध्यक्षता में उत्तर मध्य रेलवे के लगभग 100 अधिकारियों ने इस वेबिनार में रेलटेल और यूरोप स्थित इस आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली के विशेषज्ञों के साथ भाग लिया। स्वीडिश विशेषज्ञ थॉमस जानसन ने ट्रेन कंट्रोल सिस्टम की नवीनतम तकनीक , आधुनिक सिग्नलिंग के पायलट प्रोजेक्ट के बारे में भी जानकारी दी।

ज्ञात हो कि उत्तर मध्य रेलवे में झांसी मंडल का झांसी-बीना खंड ईटीसीएस लेवल 2 परियोजना के लिए पायलट प्रोजेक्ट हेतु चिन्हित स्वर्णिम चतुर्भुज मार्गों पर स्थित भारतीय रेल के नागपुर-बडनेरा (मध्य रेल ), रेनिगुट्टा-येरगुट्टा (दक्षिण मध्य रेल ) और विजयग्राम-पलासा (पूर्व तटीय रेल) सहित चार खंडों में से एक है। यह कार्य नई सिग्नलिंग प्रणाली यानी ईटीसीएस एल -2 को नई दिल्ली- हावड़ा और नई दिल्ली- मुंबई ट्रंक मार्गों में लागू करने के लिए आवश्यक अनुभव प्राप्त करने और आवश्यक सुधारों को शामिल करने में मदद करेगा।

यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली लेवल 2 नामक यह आधुनिक सिग्नलिंग मूल रूप से एक रेडियो आधारित, निरंतर स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जो सिग्नल पासिंग एट डैंजर एवं ओवर स्पीडिंग की संभावना के उन्मूलन द्वारा ट्रेन कोलीज़न की किसी भी संभावना को भी समाप्त करती है।

इस प्रणाली द्वारा केंद्रीकृत नियंत्रण और स्वचालित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली के माध्यम से कंजेस्टेड ट्रंक मार्गों पर लाइन क्षमता में सुधार भी होगा। इससे थ्रूपुट क्षमता भी बढ़गी अर्थात रेलखंड में अधिक ट्रेनें चल सकेंगी। यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली लेवल के साथ ही,

आधुनिक एलटीई आधारित (4 जी) संचार व्यवस्था भी ट्रेन पर उपलब्ध होगी, जिसके माध्यम से यात्रियों की सुरक्षा के लिए डिब्बों में लगाए गए ऑनबोर्ड सीसीटीवी कैमरे की निगरानी सीधे कंट्रोल रूम से की जा सकेगी।

इस आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली में लोकोमोटिव और ट्रेनसेट, ट्रैकसाइड उपकरण और रेडियो ब्लॉक केंद्र में लगे ऑन-बोर्ड उपकरण शामिल होंगे जो मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार के माध्यम से ट्रेनों से लगातार जुड़े रहेंगे।

रेडियो ब्लॉक केंद्र इस प्रणाली के केंद्र के रूप में काम करता है, जो खंड में 200 किलोमीटर की दूरी पर रहेंगे। इसमें वेसाइड स्टेशनों के सभी इंटरलॉकिंग डेटा होंगे जो प्रत्येक खंड और स्टेशन की क्षमता पर विचार करते हुए निरंतर संचार के माध्यम से दो ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखेंगे ।

अरुण कुमार सक्सेना- सलाहकार सिग्नल रेलटेल और संदीप माथुर मंडल रेल प्रबंधक झांसी ने भी वेबिनार में भाग लिया। महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे और उत्तर रेलवे राजीव चौधरी ने कहा कि इस तरह के सेमिनार हमारे कर्मचारियों में इस आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली की बेहतर समझ बनाने में मदद करेंगे। उन्होंने रेल में किए जा रहे नवीनतम तकनीक के प्रयोग के संबंध में कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि रेल कर्मचारियों को दिन-प्रतिदिन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनाया जा सके। चौधरी ने यह भी कहा कि भारतीय परिस्थितियों के अनुसार इस आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली को हमारी आवश्यकता के अनुरूप ही विकसित किया जाए जिससे इस प्रणाली से अपेक्षित लाभ मिल सके।

Click