छत्तीसगढ़ में ‘हसदेव जंगल’ उजाड़ने के विरोध में साझा संस्कृति मंच ने निकाला जुलूस

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वाराणसी। छत्तीसगढ़ में काटे जा रहे ‘ हसदेव जंगल ‘ को उजाड़ने के विरोध में साझा संस्कृति मंच ने निकाला जुलुस। पशु पक्षी और आदिवासियों के घर न उजाड़े जाएं साथ ही हरियाली को किसी भी कीमत पर बचाया जाए की अपील लिखी तख्तियों ने लोगो का ध्यान आकर्षित किया।

पशु पक्षी और आदिवासियों के घर न उजाड़े जाएं साथ ही हरियाली को किसी भी कीमत पर बचाया जाए की अपील लिखी तख्तियों ने लोगो का ध्यान आकर्षित किया।

आज दिनांक 29 सितंबर 2022 गुरुवार को साझा संस्कृति मंच ने हसदेव जंगल को उजाड़ने के विरोध में जुलुस निकाला। होटल रेडिसन नदेसर कैंटोनमेंट रोड से अम्बेडकर पार्क कचहरी तक सायं 5 बजे जुलुस निकला।

हसदेव उजाड़ना बंद करो , हरियाली बचाओ के नारे लगाते हुए जुलुस निकाल रहे सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि हसदेव जंगल को काटने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल क्षेत्र में तैनात कर दी गयी है। नींद में सोए हुए लोगों की गिरफ्तारी करके और कटान क्षेत्र में किसी को आने जाने से रोककर क्षेत्र में एक डर का माहौल बनाया जा रहा है ,जो कि अलोकतांत्रिक एवं अन्यायपूर्ण है। हम साझा संस्कृति मंच के लोग इसका प्रतिकार करते हैं।

ज्ञातव्य है कि, छत्तीसगढ़ में स्थित हसदेव जंगल को बिजली परियोजना के लिए उजाड़ा जा रहा है। सरगुजा, कोरबा और सूरजपुर जिले के बीच स्थित हसदेव एक समृद्ध जंगल है। एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला यह जंगल अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है।

भारत का एक बड़ा कोयला भंडार इस क्षेत्र में दबा हुआ है और पूंजीपतियों की नजर लम्बे समय से इस अनमोल खजाने पर लगी हुई है। हसदेव अरण्य, मध्य भारत के आखिरी समृद्ध जंगलों में से एक है। मूल निवासी कहे जाने वाले गोंड आदिवासियों की बड़ी संख्या यहाँ रहती है। जंगल के बीच से हसदेव नाम की नदी भी बहती है। सदियों जंगली से हाथियों का कॉरिडोर है यह क्षेत्र।

2010 में छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने इस जंगल से कोयला निकालने की सोची। तब केंद्र में कांग्रेस सरकार थी। आज 2022 में राज्य में कांग्रेस सरकार है और केंद्र में बीजेपी सरकार है। बिजली पैदा करने के लिए जमीन में दबे कोयले को निकालना है। कोयला निकालने के लिए घने वन क्षेत्र को साफ़ करना है।

इस अजीबोगरीब जनहित के काम में केंद्र की भाजपा सरकार, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार एक मंच पर है। प्रकृति विनाशक इस परियोजना में जनता का माथा अपने दरवाजे पर पिटवाने वालों में पीएम नरेंद्र मोदी , राज्यपाल, दो राज्यों के सीएम और स्वयं राहुल गांधी भी शामिल है।

दुनिया के शीर्ष अमीरोँ में शामिल भारतीय पूंजीपति अडानी को यह परियोजना मिली हुई है। आम तौर पर एक दूसरे की विरोधी कांग्रेस बीजेपी अडानी जी इस जंगल को उजाड़ कर कोयला निकालकर बिजली बना सकें और देश की सेवा कर सकें, इसके लिए आपसी गिले- शिकवे भुलाकर एक साथ खड़े है।अप्रैल 2022 में जब सैकड़ो साल पुराने पेड़ो पर कटाई शुरू हुई और फोटो वीडियो समाचार में आना शुरू हुए तो सोशल मिडिया पर सेव हसदेव ट्रेंड करने लगा।

मई 2022 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एक आयोजन के दौरान राहुल गांधी से हसदेव अरण्य में खनन के बारे में एक छात्रा ने पूछा कि 2015 में आप खुद को आदिवासियों के साथ खड़ा बताते थे, और आज आपकी पार्टी अडानी को जंगल काटने की छूट दे रही है। जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि वह आदिवासियों की मांगों से सहमत हैं और कुछ ही दिन में पार्टी इसका समाधान निकाल लेगी। छत्तीसगढ़ विधानसभा ने कुछ दिनों बाद प्रस्ताव पारित करते हुए केंद्र सरकार से हसदेव अरण्य के सभी कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द करने के लिए कहा।

जुलूस में चल रहे एक पर्यावरण कार्यकर्ता ने बेहद गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि देश में बिजली की डिमांड बढ़ती जा रही है। बिजली आधारित सुख सुविधा के सामान एयरकंडीशनिंग आदि का उपयोग बढ़ता जा रहा है। हर साल गर्मियों में देश के समाचार पत्रों में कोयले की कमी से परेशान कोयला बिजलीघरों की खबरें आ रही हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुन दोहन करने पर आमादा हैं।

हसदेव में भी आदिवासियों को उजाड़कर, पेड़ पौधों पशुओ को तबाह करके , जंगल को नष्ट करके हम कोयला निकालेंगे और शहरी मध्यमवर्ग को एसी की ठंडक देंगे। वक्त आ गया है कि हमें यह सोचना होगा कि हमें एसी की ठंडक चाहिए या साँस लेने के लिए ऑक्सीजन ?

जुलुस में मुख्य रूप से वल्लभाचार्य पांडेय, नंदलाल मास्टर, रवि शेखर, एकता ,रंजू , डॉ इन्दु पांडे, नीति, जागृति राही, रामजन्म भाई, डॉ अनूप श्रमिक, पूनम, सुरेंद्र सिंह, राजेश, मुकेश झंझरवाला, सच्चिदानंद ब्रह्मचारी , फ़ा0 प्रवीण, सोनी , आशा, नीलम पटेल, दीपक पुजारी, सतीश सिंह, मैत्री, धनञ्जय आदि शामिल रहे। आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट- राजकुमार गुप्ता

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