गरीब बच्चों की पढ़ाई में बाधा ना हो इसलिए सरकार करती है आर्थिक मदद
रायबरेली– गरीब तबके से आने वाले छात्रों के लिए सरकार आर्थिक मदद देती है समय से विभाग के खाते में पैसा भी भेज दिया जाता है। लेकिन जब जिम्मेदार विभाग कुंभकरण की नींद में हो तो उन बच्चों के परिजनों को आर्थिक हालातो का सामना करना पड़ता हो साथ में वह सरकारी योजनाएं परवान भी नहीं चढ़ पाती जिनको सरकार हर एक आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना चाहती है जो जरूरतमंद हो। इसी क्रम में लापरवाही बरतने पर बीएसए को नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया है। निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूल में निशुल्क शिक्षा दिलाने की व्यवस्था है जिले में 343 बच्चों का चयन किया गया है योजना के तहत स्टेशनरी, ड्रेस आज खरीदने के लिए पांच ₹5000 की आर्थिक मदद भी दी जाती है शासन से ₹1715000 विभाग के खाते में भेजा गया है करीब 1 महीना होने को है अभी तक किसी भी अभिभावक के खाते में भुगतान नहीं पहुंचा है इस पर संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक गणेश कुमार ने स्पष्टीकरण मांगा है।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं जरूरतमंद अभिभावक
अपने बच्चों की उज्जवल भविष्य के लिए जिन अभिभावकों ने प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन करवाया था वह आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं क्योंकि विभाग के खाते में धन भी है लेकिन उसका प्रयोग नहीं किया गया है। निजी स्कूलों में फीस से भले ही छुटकारा मिल गया हो लेकिन स्टेशनरी में मोटी रकम खर्चा हो जाती है अप्रैल से ही शिक्षा सत्र शुरू हो जाता है और अब समाप्त होने को है। विभाग के लापरवाह रवैया के चलते शासन की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
शशांक सिंह राठौर ने कहा विभाग दबाए बैठा हुआ है धन
ऑल स्कूल एंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शशांक सिंह राठौर का कहना है जिम्मेदार विभाग के लचर रवैया के चलते जरूरतमंद अभिभावकों को मदद नहीं मिल पा रही है बेसिक शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर सही से मैपिंग नहीं की गई है अभिभावकों के हिस्से का धन बेसिक विभाग दबाए बैठा हुआ है। ऐसी स्थिति में जरूरतमंदों को मदद कैसे मिलेगी जबकि सरकार प्रयासरत है लेकिन जमीनी स्तर पर विभाग सरकार की किरकिरी करा रहा है।