महोबा , चरखारी कस्बे के खंदिया में संचालित डॉ.भीमराव अम्बेडकर पाठशाला एवं लाइब्रेरी में संत गुरु रविदास जयंती मनाई गई जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में रहे विवेकानंद कम्पटीशन क्लासेस के संचालक साजिद सर रहे। कार्यक्रम का आयोजन पाठशाला संचालक इन्द्र कुमार कुशवाहा के नेतृत्व में किया गया। साजिद सर सहित सभी छात्रों ने संत शिरोमणि रविदास के चित्र पर माल्यार्पण पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। साजिद सर ने बताया गुरु रविदास समाज से जाति विभेद को दूर करने में रविदास जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। वह ईश्वर को पाने का एक ही मार्ग जानते थे और वो है भक्ति इसलिए तो उनका एक मुहावरा आज भी बहुत प्रसिद्ध है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। गुरु रविदास का जन्म माघ मास की पूर्णिमा को रविवार के दिन 1433 को हुआ था। इसलिए हर साल माघ मास की पूर्णिमा तिथि को रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है। रविदास जी का जन्म 15वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक मोची परिवार में हुआ। उनके पिताजी जाति के अनुसार जूते बनाने का पारंपरिक पेशा करते थे, जोकि उस काल में निम्न जाति का माना जाता था। लेकिन अपनी सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद भी रविदास जी भक्ति आंदोलन, हिंदू धर्म में भक्ति और समतावादी आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उजागर हुए। गुरु रविदास एक महान संत और समाज सुधारक थे। भक्ति, सामाजिक सुधार, मानवता के योगदान में उनका जीवन समर्पित रहा।उन्होंने भक्ति के भाव से कई गीत, दोहे और भजनों की रचना की, सामाजिक योगदान, समाज सुधार में भी गुरु रविदास जी का विशेष योगदान रहा। शिक्षा और सेवा: गुरु रविदास ने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और अपने शिष्यों को उपस्थित बच्चों को शिक्षा पाने के लिए प्रेरित किया। इस मौके पर पाठशाला संचालक इन्द्र कुमार कुशवाहा एबीवीपी पूर्व प्रांत कार्यकारिणी सदस्य एवं,पवन कुशवाहा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य,एवं नैतिक,सूरज,पूनम,वंदना, कृष,अरुण,सहित भारी संख्या में छात्र छात्राएं बच्चे मौजूद रहे।
रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल
डॉ भीमराव अम्बेडकर पाठशाला एवं लाइब्रेरी में मनाई गई संत गुरु रविदास की जयंती
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