पर्यावरण के क्षेत्र में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित हुए पीपलमैन रघुराज प्रताप सिंह

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हमीरपुर। हमीरपुर जिला के मौदहा तहसील के एक छोटे से गाँव ग्राम कपसा से निकलकर आज इस मुकाम को हासिल किया रघुराज प्रताप सिंह ने की Colombia Pacific virtual university मथुरा उत्तर प्रदेश ने पर्यावरण के क्षेत्र में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया।

रघुराज जी को अभी तक पर्यावरण एवं समाज सेवा के क्षेत्र में राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय अनेको अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका हैं लेकिन पर्यावरण के क्षेत्र में डॉक्टरेट से सम्मानित होना रघुराज जी और उनके परिवार गाँव और हमीरपुर जिला के लोगों के लिए गौरव की बात हैं इस अवार्ड से मिशन एक लाख पौधों के रोपण की टीम ही नहीं उनका परिवार, गाँव, पूरा हमीरपुर उत्तर प्रदेश खुद को गौरवन्वित महसूस कर रहा हैं।

रघुराज जी अभी वर्तमान में मिशन एक लाख पौधों के रोपण के संचालक और दिल्ली के NGIPF के Green Ambassador हैं रघुराज जी पिछले 4 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहें और पर्यावरण को बचाने के लिए रघुराज और उनकी टीम प्राणवायु देने वाले पौधों का रोपण कर रहें हैं जैसे पीपल, बरगद, पाकर नीम, तुलसी आदि पौधों का रोपण पिछले चार सालों में भारत ही नहीं अन्य देशों में भी लोगों को जागरूक कर पौधों का रोपण करा रहें हैं अभी तक कई हजार पौधों का रोपण कर चुके हैं।

रघुराज जी कहते हैं की “जिस प्रकृति में हमारा जन्म हुआ उसको बचाना हमारा नैतिक कर्तव्य ही नहीं मौलिक कर्तव्य भी हैं” क्योंकि प्रकृति हमें वह सब कुछ देती हैं जिससे हमारी मूलभूत आवशकताओं की पूर्ति होती हैं जैसे प्रकृति से हमें जल,जंगल,जमीन मिला हैं तो हमारा भी कर्तव्य हैं की हम इनकी रक्षा करें लेकिन आज रक्षा के बजाय हम उनके भक्षक बन बैठे हैं जो की कदाचित उचित नहीं हैं क्योंकि “प्रकृति के पास सब लोगों की आवशयकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।”

क्योंकि आज जिस प्रकार जनसंख्या बढ़ रही हैं उसी मात्रा में प्रकृति का दोहन बढ़ा हैं जोकि ठीक नहीं हैं क्योंकि आज हम अनाधुंध जंगलो को काट रहें हैं और उसकी जगह नगरों,सड़को,इंडस्ट्री, पुलों का निर्माण कर रहें हैं यह निर्माण करना गलत नहीं हैं लेकिन प्रकृति के साथ सामंजस्य के साथ करना उचित रहेगा क्योंकि जंगलो से हमें प्राण वायु ही नहीं हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की भी पूर्ति होती हैं जंगलो में अनेक प्रकार की जैव विविधता,पायी जाती हैं जो मानव जीवन को संचालित करने के काम आती हैं।

वहीं जल संरक्षण की बात करें तो “जल हैं तो कल हैं” लेकिन आज जितनी तेजी से जल प्रदूषित हो रहा हैं वह दिन दूर नहीं जब जल का संकट पैदा ना हो कई जगह ऐसी स्थितियाँ पैदा हो गई हैं जंहा पिने योग्य जल नहीं हैं जैसे कई अफ्रीकन देश,और भारत में तमिलनाडु का भू-जल स्तर ख़त्म होने की कगार में हैं और हाँ दिल्ली जैसे शहर में 95 % भूजल ख़त्म होने की कगार में हैं।

और हाँ वही स्थिति हमारे बुंदेलखंड की हैं आय दिन खबरों में पीने के पानी के लाले पड़े रहने की खबरे आती रहती हैं और मैं भलीभांति परिचित हूँ अपने गाँव से भी क्योंकि आज तक मेरे गाँव में मीठा पानी नहीं निकलता हैं जिससे हमें 1.5 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था और 5 किलोमीटर दूर से टंकी द्वारा सप्लाई किया जाता हैं।

इसलिए जल संरक्षण बेहद जरुरी हैं और हम उस पर कार्य भी कर रहें हैं इसी प्रकार मिट्टी को बचाना भी जरुरी हैं जिससे खाद्य संकट पैदा ना हो इन सभी समस्याओं से निराकरण तभी पाया जा सकता हैं जब हम प्रकृति को नहीं खुद को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधों का रोपण करेंगे।

कहावत में भी कहा गया हैं की एक पेड़ 100 पुत्र समान तो क्यों ना हम अपने नाम का एक पेड़ लगाकर उसकी देखभाल करें।
आओ मिलकर शपथ लेते हैं की अपने नाम का एक पेड़ लगाएंगे और उसकी रक्षा करेंगे यही अभियान हैं पीपल मैन डॉ रघुराज प्रताप सिंह का। मिशन हमारा सहयोग आपका।

रिपोर्ट- एमडी प्रजापति

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