राकेश कुमार अग्रवाल
झांसी । प्रयागराज से नई दिल्ली के बीच सेवा प्रदान करने वाली प्रयागराज एक्सप्रेस के 16 जुलाई को सेवा देते हुए ३६ वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। 1984 से प्रयागराज एक्सप्रेस अपने यात्रियों को गुणवत्ता पूर्ण यात्रा का अनुभव प्रदान कर रही है। प्रारम्भ में 17 वैक्यूम ब्रेक वाले लाल रंग के डिब्बों के साथ इसका संचालन किया गया था, जिसको 2003 में 24 कोच वाले नीले रंग के एयर ब्रेक वाले स्टॉक में परिवर्तित कर दिया गया था और दिनांक 16 दिसंबर 2016 को इसके डिब्बों को नवीनतम एलएचबी रेक परिवर्तित कर दिया गया। इस ट्रेन की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह ट्रेन किसी भी पैसेंजर ट्रेन की अधिकतम संभव क्षमता अर्थात 24 एलएचबी कोचों के साथ चलती है।
कोविड-19 की स्थिति के कारण नियमित यात्री सेवाओं को 50 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था जिसके उपरांत दिनांक 12 मई एवं 01 जून से क्रमशः वातानुकूलित विशेष गाड़ियों व अन्य विशेष गाड़ियों का संचालन शुरू हुआ जिसमें प्रयागराज – नई दिल्ली और कानपुर – नई दिल्ली के मध्य उत्तर मध्य रेलवे की दो प्रारम्भिक विशेष गाड़िया सम्मिलित हैं। अब तक 126 विशेष ट्रेनें जिनमें उत्तर मध्य रेलवे परिक्षेत्र से प्रारम्भ होने वाली 02 मूल ट्रेनें शामिल हैं, उत्तर मध्य रेलवे के विभिन्न स्टेशनों से यात्रियों के लिए आवश्यक यात्रा आवश्यकताओं की पूर्ति कर रही हैं। कोविड -19 महामारी को देखते हुए, उत्तर मध्य रेलवे ने ट्रेनों के ओरिजिनेटिंग /टर्मिनेटिंग एवं ठहराव वाले स्टेशनों पर सोशल डिस्टैंसिंग, स्वच्छता और सैनिटाइजेशन् आदि की वृहद व्यवस्था की है।
व्यापक स्वच्छता प्रोटोकॉल के अंतर्गत ओरिजिनेटिंग विशेष ट्रेनों के रेकों का प्लेटफार्मों पर यात्रा के उपरांत डिसइनफेक्शन, डिब्बों के लगातार स्पर्श में आने वाले क्षेत्रों की गहन सफाई, वातानुकूलित डिब्बों में अतिरिक्त ताजी हवा का सर्कुलेशन, डिसइनफेक्शन के लिए वातानुकूलित कोचों का पूर्व-हीटिंग, डिब्बों के अंदर जागरूकता स्टिकर का प्रावधान, डिब्बों के अंदर सेनिटाइजर का प्रावधान एवं पोस्ट मेंटेनेंस डिसइनफेक्शन आदि व्यवस्था कोचिंग डिपो प्रयागराज और कानपुर द्वारा सुनिश्चित की जा रही है। इन विशेष गाड़ियों में आवश्यक ऑन-बोर्ड सेवाएं प्रदान करने वाले रेलवे और संविदा कर्मचारियों को संक्रमण का सामना करने के लिए फेस शील्ड, दस्ताने, मास्क / फेस कवर, सैनिटाइजर आदि उपलब्ध कराये गये हैं । सभी ऑन-बोर्ड कर्मचारियों की प्रत्येक दिशा में यात्रा शुरू होने से पहले और समापन के बाद में थर्मल स्क्रीनिंग और किसी अन्य कोविड -19 लक्षणों के लिए जांच की जा रही है।
पारंपरिक रूप से सोडियम हाइपोक्लोराइट सालूशन का उपयोग कोचों के सैनिटाइजेशन के लिए किया जा रहा है, हालांकि संक्षारक प्रकृति के इस घोल का लंबे समय तक उपयोग कोचों जैसे कि बर्थ, फर्श, कोच के महत्वपूर्ण धातु भाग आदि के लिए विशेष रूप से उचित नहीं है । महाप्रबंधक उत्तर मध्य और उत्तर रेलवे राजीव चौधरी सोडियम हाइपोक्लोराइट के प्रभावी विकल्प के प्रयोग पर बल देते रहे हैं। इसको देखते हुये हुए, उत्तर मध्य रेलवे के रोलिंग स्टॉक रखरखाव इंजीनियरों ने 70% अल्कोहल / क्लोरोक्सिलेनॉल (4.5% -5.5%) / बेंजालकोनियम क्लोराइड / हाइड्रोजन पेरोक्साइड आधारित कोच डिसइनफेक्शन मिश्रण तैयार किया है| यह मिश्रण धातु घटक के लिए गैर-संक्षारक है और सार्वजनिक उपयोग के लिए उपयुक्त है।
कोचों के स्वच्छता के लिए प्रयागराज, झांसी और आगरा मंडलों के कोचिंग डिपो द्वारा व्यावसायिक रूप से उपलब्ध और परीक्षण किए गए सोडियम हाइपोक्लोराइट के विकल्प का उपयोग शुरू किया जा रहा है। कोच सैनिटाइजेशन उपयोग के दौरान प्राप्त अनुभव के आधार पर उपयोगकर्ताओं और सामग्रियों पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के बिना वायरस के खिलाफ अधिकतम सुरक्षा रखने के लिए अन्य क्षेत्रों जैसे स्टेशनों, कार्यालयों आदि के लिए भी प्रसार किया जाएगा।