बुंदेलखंड राज्य आंदोलन में कूदे यूपी के पूर्व डीजीपी, काली पट्टी बांध कार्यक्रम में हुए शामिल

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बुंदेलों ने 34वीं बार अपने खून से खत लिख मोदी से की भूल सुधारने की मांग।

महोबा , बुंदेलखंड राज्य आंदोलन में बुधवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह भी खुलकर आ गए। वह शहर के आल्हा चौक में बुंदेली समाज के काला दिवस कार्यक्रम में माथे पर काली पट्टी बांधकर शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रिकार्ड 34 वीं बार खून से खत लिखकर बुंदेलखंड राज्य की मांग कर रहे बुंदेलों के पक्ष में उन्होंने कहा कि राजनैतिक दल नहीं चाहते कि बुंदेलखंड राज्य बने वह इसके खिलाफ हैं।
आल्हा चौक के अंबेडकर पार्क में आयोजित कार्यक्रम में बुंदेली समाज के सदस्यों ने आज काले कपड़े पहने और अपने माथे पर काली पट्टी बांधकर एक नवंबर, 1956 के उस सबसे त्राषदीपूर्ण दिन को याद किया जब बुंदेलखंड के दो टुकड़े कर भारत के नक्शे से मिटा दिया गया। साथ ही बुंदेली समाज ने नेहरू सरकार की उस ऐतिहासिक भूल को सुधार कर फिर से बुंदेलखंड राज्य बहाल करने की अपील की। बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर बुंदेलखंडी ने कहा कि हमारा बुंदेलखंड राज्य देश आजाद होने के 8 वर्ष 7 माह बाद तक अस्तित्व में था और नौगांव इसकी राजधानी थी। बुंदेलखंड राज्य को बनाए रखने की 1953 में न्यायमूर्ति फजल अली की अध्यक्षता में बने प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश को भी नेहरू सरकार ने खारिज कर दिया। आयोग के सदस्य हृदय नाथ कुंजरू और केएम पणिक्कर बुंदेलखंड राज्य को बनाए रखना चाहते थे। एक नवंबर,1956 को जब मध्यप्रदेश राज्य का गठन हुआ तो बुंदेलखंड राज्य को आधा-आधा बांटकर भारत के नक्शे से मिटा दिया गया। आजादी के वक्त जब देश की 562 रियासतों किया गया तो संविधान सभा ने 35 रियासतों को मिलाकर बुंदेलखंड बनाया था और कामता प्रसाद सक्सेना पहले मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुंदेलखंड की जनता ने भरपूर समर्थन दिया है और अब उनको भी जनभावनाओं का सम्मान करते हुए बुंदेलखंड राज्य बना देना चाहिए ताकि क्षेत्र को विकास की मुख्य धारा में लाया जा सके। आज खून से खत लिखने के लिए तारा पाटकर, डा. अजय बरसैया, प्रेम चौरसिया, सिद्ध गोपाल सेन, मनीष जैदका, माधव खरे, सुधीर द्विवेदी, हरीओम निषाद, अमरचंद विश्वकर्मा, सुरेश बुंदेलखंडी, डा. देवेन्द्र पुरवार, गया प्रसाद, अजय मिश्र, रमाकांत नगायच समेत एक दर्जन से अधिक बुंदेलों ने अपना खून दिया।

रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल

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