महोबा , मात्र 39 वर्ष की अल्पायु में दुनिया को अलविदा कहने से पहले इस शताब्दी के महान संत स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका और यूरोप में न केवल भारत की छवि को निखारा बल्कि सनातन की खूबियों से अवगत कराकर दुनिया को अभिभूत कर दिया। उनके विचार दिग्भ्रमित युवाओं के लिए आज भी प्रकाश पुंज बने हुए हैं और निराशा के वक्त सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं।
स्वामी विवेकानंद की 161वीं जयंती पर गोरखगिरि पर्वत के ऊपर स्थित सिद्ध बाबा आश्रम में विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि विवेकानंद छोटी सी जिन्दगी में बहुत बड़े काम कर गए। वे युवाओं के सबसे बड़े प्रेरणास्रोत हैं। इसीलिए उनके जन्म दिवस को हर वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्म 1863 में कोलकाता के मशहूर वकील विश्वनाथ दत्त व भुवनेश्वरी देवी के यहां हुआ। वे 25 वर्ष में रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बन गए एवं संन्यास ले लिया। अमेरिका के शिकागो में 11 सितंबर, 1893 को शुरू हुई विश्व धर्म संसद में विवेकानंद ने अपने उदबोधन से पूरी दुनिया को चकित कर दिया। उन्होंने वापस हिन्दुस्तान लौटकर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इस मौके पर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष दिलीप जैन, अमित तिवारी, अभिषेक द्विवेदी, प्रवीण चौरसिया, सुधीर दुबे, गया प्रसाद, अवधेश गुप्ता, जागेश्वर चौरसिया, पवन, महेन्द्र सोनी, सुमित तिवारी, मुन्ना, दीपू सोनी, प्रेम चौरसिया, गुरू समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल
बुंदेलो ने गोरखगिरि पहाड़ में मनाई विवेकानंद की 161 वीं जयंती
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