बोर्ड के अंक प्रदान करने के फॉर्मूले से सहमत नहीं हैं स्टूडेंट्स

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कोरोना महामारी के चलते चार माह से अधर में लटके थे बोर्ड परीक्षार्थी

राकेश कुमार अग्रवाल

कुलपहाड ( महोबा ) कोरोना महामारी के कारण सीबीएसई द्वारा लगभग चार माह से टाली जा रही बोर्ड परीक्षाओं के बाद आखिरकार बोर्ड अब परीक्षा परिणाम घोषित करने की तैयारी में जुट गया है।
बोर्ड परीक्षार्थियों के जो पेपर नहीं हो सके हैं उसमें अंक प्रदान करने की नीति को सर्वोच्च न्यायालय भी हरी झंडी दे चुका है।

लेकिन क्या इस फैसले से स्टूडेंट्स खुश हैं। यह जाना हमने कुछ बोर्ड परीक्षार्थियों से ……पेश है एक रिपोर्ट

एवरेज अंक प्रदान करना कोई साॅल्युशन नहीं है – अलीशा अख्तर

छात्रा अलीशा अख्तर के अनुसार प्री बोर्ड या दूसरे एसेसमेंट के आधार पर मार्क्स देना ठीक नहीं है। बोर्ड परीक्षा की तैयारी और प्री बोर्ड के एक्जाम के परफोरमेंस में जमीन आसमान का अंतर होता है। बेहतर तो यही होगा कि देर से ही सही लेकिन बोर्ड पेपर कराकर रिजल्ट घोषित करे। ये बीच का रास्ता कैरियर के मोड पर खडे छात्र के हिसाब से ठीक नहीं है।


परीक्षायें रद्द करने का कोई औचित्य नहीं है – जिग्यासा पालीवाल

हाईस्कूल में ९५% अंक हासिल करने वाली जिग्यासा पालीवाल के अनुसार पेपर रद्द नहीं होना चाहिए। हम लोगों के लिए हिंदी स्कोरिंग सब्जेक्ट है। वैसे भी बोर्ड परीक्षा का अंक पत्र पूरी जिंदगी काम आता है। ऐसे में एवरेज नंबर दिलाना तर्कसंगत न होगा।


परीक्षा होना चाहिए – श्रुति अग्रवाल

कक्षा १२ की छात्रा श्रुति अग्रवाल के अनुसार परीक्षायें रद्द नहीं होना चाहिए। वैसे भी जब तीन महीने से इंतजार कर रहे हैं तो थोडा इंतजार और किया जा सकता है। हिंदी विषय का पेपर रह गया है उसमें वैसे भी अच्छे मार्क्स आने की संभावना रहेगी।


अच्छी तैयारी है परीक्षा के लिए तैयार हैं हम – अर्जित जैदका च

कक्षा १२ के छात्र अर्जित जैदका के अनुसार उसकी अच्छी तैयारी है एवं वह चाहता है कि एक्जाम हो जाए। बुंदेलखंड के छात्रों का हिंदी विषय वैसे भी अच्छा होता है।

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