बोलेरो चोरी का पर्दाफाश नहीं कर सकी बीकापुर पुलिस

13

▪️ घटना के डेढ़ माह बीत जाने के बावजूद भी पुलिस खाली हाथ
▪️ पुलिस से न्याय न मिल पाने के चलते आमजन का उठ रहा विश्वास
मनोज तिवारी ब्यूरो चीफ अयोध्या
बीकापुर कोतवाली से मात्र 2 किलोमीटर दूर पिपरी चौराहे पर स्थित कपड़ा व्यवसाई के दुकान के सामने खड़ी बोलेरो चोरी घटना के डेढ़ माह बीत जाने के बावजूद भी बीकापुर पुलिस घटना का कोई पर्दाफाश नहीं कर सकती है। धीरे-धीरे अब चोरी की बड़ी घटना का मामला बीकापुर कोतवाली पुलिस के ठंडे बस्ते में चला गया है।
उधर घटना का खुलासा और चोरों की पकड़ धड़ न हो पाने के चलते पीड़ित वाहन स्वामी का पुलिसिया कार्यवाही से विश्वास उठ गया है।
बताते चलें कि 17 मई मंगलवार रात बोलोरो गाड़ी संख्या यू पी-42 ए जे-7392 गाड़ी दुकान के सामने से डेढ़ माह पहले चोरी हुई थी। घटना के डेढ़ महीने बीतने को हैं परन्तु अभी तक बीकापुर कोतवाली पुलिस चोरी की इस बड़ी घटना में शामिल चोरों का अता पता नहीं लगा सकी है।
पीड़ित संजय वर्मा पुत्र राम प्रसाद वर्मा ने बताया कि बीते 17-18 मई की रात में रेडीमेड कपड़े की दुकान के बाहर खड़ी मेरी बोलेरो नंबर यू पी-42 AJ-7392 अज्ञात चोरों ने पार कर दिया था। इस बात की रिपोर्ट बीकापुर कोतवाली में 21 मई को दर्ज की गई थी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच भी की, परंतु बोलोरो चोरी हुए 45 बीत जाने के बावजूद भी पुलिस वाहन का काई भी पता नहीं लगा पाई है।
इस मामले की परिजनों ने अभी तक उक्त चोरी के संबंध में किसी भी प्रकार की प्रभावी कार्रवाई न होने की शिकायत पुलिस महानिदेशक लखनऊ, डीआईजी व एसपी अयोध्या से भी शिकायत की है। उधर शिकायतकर्ता का आरोप है कि हम लोग स्थानीय पुलिस को चोरी के संबंध में कुछ सुराग भी बताए किंतु उस दिशा में भी अभी तक पुलिस ने किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की है। जिससे स्थानीय पुलिस की उदासीनता परिलक्षित होती है।
फिलहाल चोरी की बड़ी घटना का खुलासा ना होने केे चलते बीकापुर पुलिस की कार्यशैली पर अब सवालिया निशान लगने लगे हैं। क्षेत्रवासी लोगों का पुलिस सेेे विश्वास उठने लगा है।
इस प्रकार से कोतवाली क्षेत्र से बोलेरो जैसे बड़े कीमती वाहन के चोरी होने के मामले में भी बीकापुर पुलिस पूरी तरह से उदासीन बनी हुई है। काश बीकापुर पुलिस चेते होती तो डेढ़ माह के अंदर घटना का पर्दाफाश जरूर कर देती। लेकिन मामले के विवेचकों को ऐसी घटनाओं में अब सबसे आसान तरीका फाइनल रिपोर्ट लगा दियां जाना ही समझ में आता है। और विवेचक घटना की तह तक जाना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं जिनके कृत्यों के चलते पीड़ित थाने से लेकर पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों की चौखट पर एड़ियां रगड़ने को मजबूर है।

Click