भंदहा कला के विशाल तालाब के निकट स्थित स्तम्भ और प्रतिमाएं लगभग 16 सौ वर्ष पूर्व की हैं

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पुरातत्व विभाग ने दी अपनी आख्या दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग सातवीं शताब्दी का है।

क्षेत्र में प्राचीन काल में भव्य मन्दिर के अस्तित्व होने के प्रमाण उपलब्ध।

चौबेपुर, वाराणसी 26 अप्रैल 2024 , चौबेपुर क्षेत्र के भन्दहा कला गाँव में स्थित विशाल जलाशय के आस पास स्थित लघु देव प्रतिमाओं और मंदिर स्थापत्य के कुछ अवशेष स्थित हैं, जिनकी पुरातात्विक जांच के लिए ग्रामवासियों ने अनेक बार कोशिश की है। इस प्रयास के कारण क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा. सुभाष चन्द्र यादव की टीम ने क्षेत्र का अध्ययन करके अपनी आख्या प्रस्तुत की है जिसके अनुसार यहाँ प्राप्त देव प्रतिमाओं के अवशेष 9 वीं-10 वीं शताब्दी के आस पास के हैं। वहीँ पास में ही स्थित एक मुखी शिवलिंग 7-8 वीं शताब्दी के आस पास का है।

इस एक मुखी शिवलिंग की प्रतिमा अद्भुत है और इसे स्वयंभू त्रिपुरारी महादेव के रूप में ग्रामवासियों द्वारा पूजित किया जाता है। ज्ञातव्य है कि यहाँ स्थित जलाशय का वास्तविक क्षेत्रफल 6 एकड़ से भी अधिक है और इसे अमृत सरोवर योजना में सुन्दरीकरण हेतु भी चयनित किया गया है किन्तु अधिकाँश हिस्से पर अतिक्रमण होने के कारण यह कार्य अभी तक नही हो सका है। तालाब में स्थित स्तम्भ जिसकी ऊंचाई 9 फीट और व्यास 4 फीट है उस पर अंकित अभिलेख के आधार पर पुरातत्व विभाग ने इसे 19 वीं शताब्दी का होना बताया है। इसी प्रकार अन्य खंडित देव विग्रह की उपस्थिति इस स्थान पर किसी भव्य मन्दिर का अस्तित्व होने का प्रमाण है।

भंदहा कला ग्राम निवासी एवं उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अधिवक्ता पवन पाण्डेय ने इन प्राचीन देव प्रतिमाओं के संरक्षण और जलाशय के सुन्दरीकरण के साथ ही स्वयंभू त्रिपुरारी महादेव के रूप में पूजित दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग का भव्य मंदिर बनाने की दिशा में विगत वर्षों से लगातार प्रयास किया है जिसके फलीभूत होने का समय अब निकट है क्योंकि पुरारात्व विभाग की आख्या आने के बाद शासन भी इसे संज्ञान में अवश्य लेगा. क्षेत्रीय लोगों में इससे बहुत ही उत्साह है.

रिपोर्ट – राजकुमार गुप्ता

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