पांचवें दिन गजेंद्र मोक्ष,समुद्र मंथन के साथ ही प्रभु के मोहिनी अवतार व श्रीकृष्ण जन्म की सुनाई गई कथा
श्रीमद् भागवत कथा में कृष्ण जन्म पर झूम उठे श्रद्धालु
पांचवे दिन श्रीमद् भागवत कथा सुनने उमड़ी भारी भीड़
लालगंज (रायबरेली) , विकास खंड़ सरेनी स्थित ग्राम पूरेचंदू मजरे काल्हीगांव में में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन रविवार को भागवत का महत्व समझाया गया। रविवार को पांचवें दिन गजेंद्र मोक्ष,समुद्र मंथन के साथ ही प्रभु के मोहिनी अवतार व श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाई गई!कथावाचक श्री श्री 108 आत्मानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि भगवान से बड़ा कोई साथी नहीं है। भागवत में चार वर्ण हैं। भ अर्थात भक्ति देने वाला,ग अर्थात तप का फल देने वाला,यह महापुराण है। उन्होंने गजेंद्र मोक्ष की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि गजेंद्र ने अपने पारिवारिक बंधुओं सहित सारा जीवन व्यतीत कर दिया किंतु अंत समय में ईश्वर के अतिरिक्त किसी ने उसका साथ नहीं दिया। उसी प्रकार लोगों को परिवार में रहते हुए भी ईश्वर स्मरण बनाए रखना चाहिए तभी मुक्ति प्राप्त हो सकती है। देवताओं ने असुरों से मिलकर समुद्र मंथन कर अमूल्य रत्न प्राप्त किए थे। उसी प्रकार हमें भी अपने समुद्ररूपी जीवन का मंथन कर सदगुण रूपी अमूल्य रत्नों को ग्रहण करना चाहिए। भगवान सदाशिव ने सबको आनंदित करने वाले रत्नों की उपेक्षा करते हुए जनमानस को कष्ट पहुंचाने वाले विष को ग्रहण कर विश्व का हित किया था। उसी प्रकार हमें भी दूसरो के कष्टों को ग्रहण करना चाहिए। श्री आत्मानंद सरस्वती जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा भी सुनाई। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को पृथ्वी पर बढ़ रहे पाप को मिटाने के लिए श्री वासुदेव व देवकी के घर अवतार लेना पड़ा। भगवान को पुत्र रूप में प्राप्त करने से पूर्व देवकी को अपने प्रथम सात पुत्रों को त्यागना पड़ा। श्री स्वामी जी ने बताया कि किस तरह देवकी के गर्भ से आठवीं संतान के पैदा होने के बाद वासुदेव जी महाराज भगवान कृष्ण को बदलकर उनकी जगह पर योग माया को लेकर आए। भगवान कृष्ण को गोकुल में यशोदा मैया की गोद में देकर आ गए!यशोदा मैया की गोद में तो कन्या पैदा हुई थी। भगवान की लीला हुई वासुदेव जी को आकाशवाणी से हुक्म हुआ कि लाला को नंद बाबा के घर यशोदा मैया के पास छोड़कर कन्या को लेकर वापस कंस की जेल में आना है। नंदलाल के पैदा होने की खुशी में नंद बाबा के यहां उत्सव शुरू हो गया। बधाई देने वालों का तांता लग गया। इधर कंस को जब पता चला कि देवकी के आठवां बच्चा पैदा हो गया है। उन्होंने बच्ची को मारने की जब कोशिश की,वह योगमाया का रूप लेकर आकाश में चली गई। वहां उन्होंने भविष्यवाणी की कि तेरे मारने वाला तो गोकुल में पैदा हो चुका है,कंस ने सभी नए जन्मे बच्चों को मारने के लिए पूरी कोशिश की परंतु वह किसी भी तरह भगवान कृष्ण का बाल भी बांका नहीं कर पाए। ईश्वर की प्राप्ति से पूर्व हमें काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद व अहंकार का त्याग करना पड़ेगा। इस दौरान श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया और झांकी का आनंद उठाया। इस अवसर पर गिरजा शंकर दीक्षित,हरी शंकर दीक्षित,उमेश चंद्र दीक्षित,ऋषि दीक्षित,दिनेश दीक्षित,राधे बाजपेई,रामजी पांडेय,कृष्ण कुमार अग्निहोत्री,गोवर्धन अग्निहोत्री,सधन अग्निहोत्री,करूणा शंकर शुक्ला,कृपा शंकर शुक्ला,हरी शंकर त्रिवेदी,राजकुमार मिश्रा,शिवतोष संघर्षी,कमल कुमार मिश्रा,कमलेश दीक्षित,गंगा सागर शुक्ला,हैप्पी मिश्रा,आदर्श तिवारी,राजेंद्र त्रिवेदी,रविशंकर मिश्रा,पुनीत त्रिवेदी,शैलेश मिश्रा,रजत बाजपेई,सी.एल. त्रिवेदी,शिवशंकर सिंह,दिनेश सिंह व सपत्नी उमाशंकर त्रिवेदी ने भी पहुंचकर श्रीमद् भागवत कथा का रसपान किया।
रिपोर्ट- संदीप कुमार फिजा
भगवान से बड़ा कोई साथी नहीं : आत्मानंद सरस्वती जी महाराज
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