मरीजों ने आयुक्त के फोन पर खोला स्वास्थ्य विभाग की लपरवाहियों का राज

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रिपोर्ट- सुधीर त्रिवेदी

बांदा—कोरोना को लेकर शासन-प्रशासन लगातार सक्रिय हैं। इसके बाद भी लापरवाही देखने को मिल रही है। यूनीसेफ की रिपोर्ट पर कमिश्नर ने इसकी जानकारी लेने के लिए जब खुद तीन संक्रमितों को फोन मिलाया तो हकीकत जानकर वह खुद दंग रह गए। संक्रमितों ने उन्हें बताया कि न तो कोई टीम आई है और न ही कोई दवा दी गई है। उन्हें खुद दवा लेने अस्पताल या मेडिकल स्टोर जाना पड़ा। इस पर कमिश्नर ने कड़ी नाराजगी जताते हुए सुधार के निर्देश दिए।
यूनीसेफ ने दिए गए फीडबैक का अवलोकन करते हुए मंडलायुक्त दिनेश कुमार सिंह ने बांदा-चित्रकूट के तीन मरीजों से फोन पर बात की। चित्रकूट के एक संक्रमित ने बताया कि वह चार मई को पॉजिटिव आए हैं। उनको कोई भी दवा देने नहीं आया न रीयल रिस्पॉस टीम (आरआरटी) उनके घर गई। वह स्वयं 10 मई को सुबह मऊ अस्पताल से दवा लेकर के आए हैं। कंट्रोल रूम से कोई सहायता नहीं मिली।
मंडलायुक्त ने बांदा (अतर्रा) के संक्रमित के दिए गए नंबर पर बात की। उन्होंने बताया कि वह दिल्ली में थे। वहां पर पॉजिटिव आ गए। कोई देखभाल करने वाला नहीं था। वह अपने घर यहां अतर्रा आ गए। दोबारा यहां टेस्ट हुआ। पांच मई को पॉजिटिव निकला। सात मई को बताया गया। लेकिन कोई भी दवा देने घर नहीं आया। वह अस्पताल खुद गए। वहां के डॉक्टरों ने उन्हें एक दवा का पर्चा दिया। बाहर मेडिकल स्टोर से दवा लेने के लिए कह दिया। उन्होंने बाहर से दवा खरीदी। दो सौ रुपये खर्च हुए। आज तक आरआरटी टीम व कंट्रोल रूम किसी ने कुछ नहीं किया। इसी तरह अतर्रा कस्बा के एक और संक्रमित के नंबर पर मंडलायुक्त ने वार्ता की। संक्रमित ने बताया कि वह लखनऊ नगर निगम में कर्मचारी हैं। पांच मई को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। सात तारीख को बताया गया कि आज तक कोई दवा देने नहीं आया। एक प्राइवेट डॉक्टर से संपर्क किया। उसने एक दवा का पर्चा भेजा। मेडिकल स्टोर से दवा खरीद करके खाना शुरू किया। नगर पालिका अतर्रा को सैनिटाइजेशन के लिए कहा। लेकिन कोई नहीं आया। न तो आशा न तो आरआरटी टीम ने सुध ली। कंट्रोल रूम से भी किसी ने आज तक संपर्क नहीं किया।
मंडलायुक्त ने सभी जिलाधिकारियों, सीएमओ को निर्देशित किया कि आईसीसीसी व आरआरटी टीमों द्वारा सिर्फ कार्य की खानापूर्ति की जा रही है। आशा को भी नहीं पता होता है कि उनके गांव में कौन पॉजिटिव है। तत्काल उसको दवा देनी चाहिए। यह स्थिति स्वीकार योग्य नहीं है। भविष्य में इस तरह की स्थितियां पैदा न हो। जो अधिकारी, कर्मचारी लापरवाही बरत रहे हैं उनके खिलाफ कार्यवाही करें। कंट्रोल रूम प्रभारी से जवाब-तलब करें कि क्यों इस तरह की लापरवाही हो रही है।

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