महोबा में सैकड़ों अन्ना पशुओं के साथ कानपुर-सागर राजमार्ग जाम किये किसानों को पुलिस ने लाठियां पटक खदेड़ा

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रिपोर्ट – H. K. Poddar

महोबा– उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में आवारा पशुओं से हलाकान हो आंदोलित किसानों द्वारा आज सैकड़ो अन्ना गोवंश के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग में जाम लगा यातायात अवरुद्ध करने पर पुलिस ने बल प्रयोग करके हालात पर काबू पाया है।

पुलिस ने बताया कि मुख्यालय से करीब पांच किमी की दूरी पर मामना के निकट कानपुर-सागर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सैकड़ो की संख्या में अन्ना पशुओं के साथ कब्जा करके बैठे किसानों को समझा-बुझा कर हटाने की काफी कोशिस की गई। लेकिन मामला शांतिपूर्वक न सुलटने पर पुलिस को जमीन में लाठियां पटक उन्हें खदेड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। किसानों द्वारा राजमार्ग पर हंगामा करने से लगभग तीन घण्टे तक यातायात अवरुद्ध रहा। इस दौरान सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई ओर यात्रियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

उधर आंदोलित किसानों में मिरतला के परमेश्वरी दयाल, मामना के पुष्पेंद्र, मुड़हरा के देवी प्रसाद, रहलिया के किशन लाल ने बताया कि अन्ना पशुओं के कारण किसानों के समक्ष भारी समस्या खड़ी है। किसान अपने खून पसीना से सींचकर फसल को तैयार करता है लेकिन रखवाली में थोड़ी सी चूक होने पर आवारा पशु उसे चर कर नष्ट कर देते है। सैकड़ो की संख्या में पशुओं का झुंड किसी खेत मे घुस जाता है तो उसे कुछ ही पलों में सफाचट कर देता है। किसानों ने आरोप लगाया कि अन्ना पशुओं के लिए मामना में लगभग दो करोड़ की लागत से तैयार करे गई कान्हा गोशाला सफेद हाथी बनी हुई है। यहां पशुओं को आश्रय देने की बजाय खुला छोड़ कर भगा दिया जाता है।

किसानों ने इज़के साथ ही ग्राम पंचायतों में आवारा पशुओं के लिए बनाई गई गोशालाओं में ग्राम पंचायतों द्वारा बड़े पैमाने पर अनियमितताएं किये जाने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि किसी भी गोशाला का औचक निरीक्षण करके वहां निरुद्ध पशुओं के सम्बंध में तसडील कई जा सकती है। भोजन और पानी का पर्याप्त प्रबंध न होने के कारण गोशाला में पशु ठहरते ही नही है। जब कि पशुओं के चारा भूसा के नाम पर प्रतिमाह पंचायतों द्वारा लाखो का बजट ठिकाने लगाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि महोबा जिले में अन्ना पशुओं की समस्या के समाधान के लिए गोशालाओं के निर्माण व चारा भूसा की ब्यवस्थाओ में अब तक करीब 80 करोड़ का भारी भरकम बजट खर्च किया जा चुका है। लेकिन समस्या में दस फीसद सुधार भी नही हुआ।

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