यूपी डेस्क-उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में शनिवार को सांसद संगमलाल गुप्ता की पिटाई हो गई। पिटाई में उनके कपड़े फट गएृ। हालांकि सांसद की पिटाई अपराधियों ने नहीं की बल्कि पिटाई करने वाले लोग एक राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता हैं। योगी सरकार प्रदेश में कानून के राज का दम्भ भर रही है। जबकि प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश सिंह यादव योगी सरकार को बुलडोजर की सरकार करार देते हैं उन्होंने तंज कसते हुए यहां तक कहते हैं कि भाजपा को अपना चुनाव चिन्ह बुलडोजर रख लेना चाहिए।
दरअसल चुनावी राजनीति में चुनाव मुद्दों पर लड़े जाते हैं। प्रत्येक चुनाव के ऐन पहले माहौल में कुछ न कुछ मुद्दे फिजा में चुनावी सुर्खियों के केन्द्र में आ जाते हैं। विपक्ष ऐसे मुद्दों को उछालता है जिनके माध्यम से सरकार को घेरा जा सके साथ ही जनता से उन मुद्दों पर सरकार की विफलता को दिखाकर असफल करार देते हुए अपने पक्ष में समर्थन मांगते हैं। हालांकि मुद्दे ऐसे चिन्हित किए जाते हैं जिनसे जनता का सीधा जुडाव हो और जनता सीधे तौर पर प्रभावित हो। जबकि सरकार अपनी उपलब्धियों , कार्यक्रमों , योजनाओं को जनता के बीच यह कहकर लेकर जाती है कि जो काम किसी भी सरकार में नहीं हुए वो हमारी सरकार ने कर दिखाए हैं।
उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है एवं कानून व्यवस्था हर चुनाव में घोषित – अघोषित रूप से एक मुद्दा रहता है। दरअसल जब से राजनीति का अपराधीकरण हुआ या अपराधियों का राजनीतिकरण हुआ अपराधी लोग भी चुनकर सदन में पहुंचने लगे। पार्टियों ने अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए ऐसे दबंग व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को टिकट थमाना शुरु किया क्योंकि ऐसे बाहुबली अकसर सीट निकालने में सफल होते हैं। राजनीति में अपराधियों की इन्ट्री से हुआ यह कि जो अपराधी पुलिस से दूर भागते थे वे अब माननीय हो गए एवं पुलिस उनको सैल्यूट ठोकती है। ऐसे में अपराध थमता तो नहीं है बल्कि संस्थागत रूप जरूर ले लेता है। ऐसे बाहुबली नेतागण अपने भौकाल का फायदा उठाते हैं और विवादित जमीनों पर कब्जा करना , विवादित सम्पत्ति को हथियाना , बेनामी सम्पत्ति पर अपना हक जमाना , थाना व तहसीलों में आए विवादित मामलों में अपना रुख बताकर किसी एक पक्ष में फैसला करवाना इन जनप्रतिनिधियों का काम होता है। जिसे वे सहजता से अंजाम देते हैं। यह एक बड़ा कारण होता है अपराध की बढ़ोत्तरी में। बीते दो दशकों में देखा जा रहा है कि कानून व्यवस्था भले चुनावी मुद्दा न बना हो लेकिन मतदाता इस मुद्दे को अनदेखा नहीं करता एवं इसके आधार पर ही मतदान का फैसला करता है। योगी सरकार ने अपराध और अपराधियों पर जीरो टाॅलरेंस की नीति बताते हुए ताबड़तोड़ कार्यवाहियां की हैं। भाजपा ने तो बाकायदा अपना स्लोगन ही इसको लेकर बना डाला है
जीना हुआ आसान , अपराधी हुए परेशान , काम भी , लगाम भी। सरकार के मुताबिक बीते साढ़े चैर वर्षों में प्रदेश पुलिस ने 150 से अधिक अपराधी मुठभेड में मार गिराए हैं। 3400 से अधिक अपराधी घायल हुए हैं। 44759 अभियुक्त गिरफ्तार हुुए हैं 630 अभियुक्तों को रासुका में निरुद्ध किया गया है। 382 आपराधिक माफियाओं की हिस्ट्रीशीट खोली गई है 274 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। 41 भूमाफियाओं की संपत्ति कुर्क करने , दो पर रासुका लगाने व 170 आरोपियों पर गैंगस्टर और 399 आरोपियों के खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्यवाही की गई है। योगी सरकार के रिपोर्ट कार्ड के अनुसार 2016 की तुलना में डकैती व लूट में 70 फीसदी , हत्याओं में 29 फीसदी , बलात्कार में 52 फीसदी व अपहरण जैसी घटनाओं में 41 फीसदी की कमी आई है। सरकार के मुताबिक उसने सवा चार साल में 12 हजार करोड़ से अधिक का खनन में राजस्व अर्जित किया है।योगी सरकार कानून व्यवस्था के तहत की गई ताबड़तोड़ कार्यवाहियों को अपनी यूएसपी मानकर चल रही है। एवं पार्टी को भी लगता है कि मतदाता इस मुद्दे पर सरकार का साथ देंगे। कानून व्यवस्था के नाम पर प्रदेश में किए गए बड़ी संख्या में एनकाउंटर एवं बहुतायत में एक जाति व वर्ग विशेष के अपराधियों को मारे जाने को पार्टियां जरूर मुद्दा बनाएंगीं। इतना तो तय है कि यूपी विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था पर जरूर जंग होगी। मतदाता इस मुद्दे पर सरकार के साथ है या सरकार के खिलाफ इसके लिए थोड़ा इंतजार तो करना ही पड़ेगा।
राकेश अग्रवाल रिपोर्ट