योगी का चुनावी वर्ष, क्या फिर होगी नैया पार?

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राकेश कुमार अग्रवाल
इसी 19 मार्च को चार साल पहले योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के 21 वें एवं भाजपा के चौथे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी . इस लिहाज से देखा जाए तो योगी के कार्यकाल का यह पांचवा वर्ष चुनावी वर्ष होने जा रहा है . क्योंकि प्रदेश में चुनावों के लिए एक वर्ष से भी कम का समय बचा है . गत 25 वर्षों में प्रदेश में जो भी चुनाव हुए हैं मतदाताओं ने सत्तारूढ दल के खिलाफ मतदान किया है . ऐसे में सबसे बडा सवाल यही है कि क्या योगी के नेतृत्व में प्रदेश का मतदाता आस्था जताते हुए उन्हें फिर से सत्तानशीं करेगा या एक बार फिर से प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होगा .
गोरखपुर के गोरक्षपीठाधीश्वर के महन्त व लगातार पांच बार के सांसद योगी आदित्यनाथ जिन्हें कडे तेवरों व उग्र हिंदुत्व के पैरोकार के रूप में जाना जाता है ने 2017 में चुनाव परिणाम आने तक भी ये नहीं सोचा था कि वे प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं . पहले राजनाथ फिर मनोज सिन्हा के नामों को तय माना जा रहा था लेकिन किस्मत योगी आदित्यनाथ की कुंडी खटखटा रही थी . दो उपमुख्यमंत्री , 22 कैबिनेट मंत्री , 9 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार व 13 राज्यमंत्रियों को राज्यपाल राम नाईक ने शपथ दिलाई थी . इन चार सालों में योगी ने ताबडतोड और तमाम बेबाक फैसले लिए हैं . तमाम बार उन्हें सदन से लेकर सडक पर विपक्षी दलों द्वारा घेरने की कोशिश भी की गई लेकिन आक्रामक तेवरों से हर बार उन्होंने अपने को सुरक्षित निकाल लिया .
राम मंदिर के निर्माण का रास्ता भले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद साफ हुआ हो लेकिन अयोध्या को गरिमापूर्ण , गौरवपूर्ण , आध्यात्मिक व आधुनिक नगरी के रूप में विकसित करने के लिए उन्होंने तमाम प्रोजेक्टों को हरी झंडी दे दी है . जिस तरह से अयोध्या को विकसित किया जा रहा है उससे आगामी पांच वर्ष बाद अयोध्या को प्रदेश का सबसे भीड जुटाऊ धार्मिक नगरी बनना तय है . कोविड 19 से निपटने के मामले में योगी सरकार ने जिस तत्परता से फैसले लिए , उन्हें लागू करवाया व प्रदेश को कोरोना से मुक्त कराने के लिए जांचों से लेकर वैक्सीनेशन पर मिशन मोड में काम हुआ है उसकी राष्ट्रीय स्तर पर तारीफ हो चुकी है . प्रदेश में तीन करोड लोगों की कोरोना जांच हुई जो एक रिकार्ड है . उनके महज चार वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश में 30 नए मेडीकल कालेज खोल दिए गए हैं . जिनमें से 8 मेडीकल कालेजों ने काम करना भी शुरु कर दिया था . जबकि 2017 के पहले प्रदेश में महज 12 मेडीकल कालेज थे . पूर्वांचल में दिमागी बुखार से होने वाली मौतों ने पूरे प्रदेश को हलाकान कर रखा था . दिमागी बुखार अर्थात जापानी इन्सेफेलाइटिस से पूर्वांचल को लगभग निजात मिल गई है . प्रदेश में अपराधियों और माफियाओं पर योगी सरकार कहर बनकर टूटी है . लेकिन इसका आशय यह कतई नहीं है कि प्रदेश अपराध मुक्त हो गया है . योगी के शासनकाल के इन चार वर्षों में पुलिस और अपराधियों के बीच जमकर मुचैटा हुआ . अब तक हुई 7791 मुठभेडों में पुलिस ने 135 अपराधियों को मार गिराया . जबकि 3000 से अधिक घायल हो गए . माफियाओं और अपराधियों पर योगी की कार्यवाही आने वाली सरकारों के लिए नजीर बनने वाली है . उनकी सरकार बुलडोजर सरकार बनकर माफियाओं पर टूटी . सैकडों करोड की संपत्ति जब्त की गई . अपराधियों को गिरफ्तार करने के बजाए उन्हें मुठभेडों में मार गिराया गया .
शोहदों के खिलाफ चलाया गया एंटी रोमियो अभियान खासा सुर्खियों में रहा . महिलाओं की सुरक्षा को लेकर नारी शक्ति जैसे तमाम अभियानों को धार दी गई .
योगी सरकार में लागू की गई योजनाओं , कार्यक्रमों व नीतियों की लम्बी फेहरिश्त है . लेकिन मतदाताओं का वोटिंग पैटर्न क्या योजनाओं और कार्यक्रमों के आधार पर चलता है यह कहने में अतिश्योक्ति होगी . सभी सरकारें जनोन्मुखी नीतियों को लागू करती है . लेकिन इसके बावजूद गत 25 वर्षों का ट्रेंड बता रहा है कि सत्तारूढ दल सत्ता में नहीं लौटा . 1996 में मायावती व कल्याण सिंह ( बसपा व भाजपा ) ने मिलकर सरकार बनाई थी . लेकिन 2002 के चुनावों में मुलायम सिंह यादव की सत्ता में तीसरी बार वापसी हुई . ठीक पांच साल बाद हुए चुनावों में मुलायम सिंह जीत का चौका नहीं मार सके और बसपा नेत्री मायावती को मुख्यमंत्री बनने का फिर से मौका मिला . इस कार्यकाल में मायावती अपने तेवरों में रहीं . ढेरों आरोपों से उनके मंत्रीगण घिरे . और आखिरकार तेजतर्रार बहन जी को सत्ता गंवानी पडी . सपा की बागडोर अब अखिलेश के हाथ थी . अखिलेश का रथ खूब दौडा . और सत्ता की चाबी बहनजी से भतीजे अखिलेश के पास आ गई . अखिलेश के कार्यकाल में जमकर विकास योजनाओं को फलीभूत होते देखा गया . लखनऊ मेट्रो हो या फिर यमुना एक्सप्रेस वे लेकिन जब चुनावों का वक्त आया तो मतदाताओं ने साईकिल पंचर कर दी . और जोरदार जीत के साथ भाजपा का सत्ता का वनवास खत्म हुआ और योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी हुई .
योगी जी यदि दोबारा जीतकर आते हैं एवं प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो यह निश्चित तौर पर उनके कार्यक्रमों व उनकी तेजतर्रार कार्यशैली को प्रदेश की जनता का समर्थन माना जाएगा . साथ ही यह भी मुहर लग जाएगी कि कानून व्यवस्था से समझौता करने वाली सरकार को जनता माफ नहीं करती है . अभी भी योगी के लिए एक साल का वक्त है अपनी राह के कांटे हटाने व सत्ता को निष्कंटक रूप से हासिल करने के लिए .

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