तेरहवीं की रस्म भी घर परिवार तक सिमटी
राकेश कुमार अग्रवाल
कुलपहाड (महोबा) । आधा दर्जन से अधिक मृतकों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित होने की बाट जोह रही हैं। लाॅकडाउन के चलते आवागमन सुविधा रोक दी गई है ऐसे में परिजन मृतक की अस्थियों को सुरक्षित रख कर लाॅकजाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं।
हिंदू संस्कृति के अनुसार किसी भी व्यक्ति के निधन पर दाह संस्कार के बाद उसके परिजन अस्थियों को चुनकर उन्हें गंगा में प्रवाहित करने के लिए प्रयागराज लेकर जाते हैं तभी मृतक की आत्मा को शांति व मोक्ष मिलता है। अन्यथा मृतक आत्मा भटकती रहती है उसका तर्पण नहीं हो पाता।
लाॅकडाउन के बाद से नगर में श्रीमती निर्मल सिंह पत्नी शंकर प्रताप सिंह का 30 अप्रैल को , श्रीमती विभा पत्नी सुधाकर रावत का एक अप्रैल को , घासी राम साहू का तीन अप्रैल को व श्रीमती सियारानी पत्नी भगवानदास यादव एवं बैरागी अहिरवार उम्र 65 वर्ष समेत एक दर्जन से लोगों का निधन हो चुका है। सभी के परिजन अस्थियों को चुनकर अपने अपने घर ला चुके हैं। आनंद प्रताप सिंह के अनुसार अब गौशाला भी नहीं बची है ऐसे में वो अपनी मां के फूल एक घडे में रखे है, लाकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं। सुधा रावत के अनुसार उन्होंने जमीन के नीचे एक गड्ढे में अस्थियों को सुरक्षित रख रखा है। हालात ऐसे हैं कि घर परिवार का भी कोई सदस्य अंतिम दर्शन करने नहीं आ सका। लाकडाउन खुलने के बाद फूलों को घर पर तब तक रखेंगे कि कम से कम लोग अस्थियों को ही आकर प्रणाम कर लें।
इन अस्थियों पर जब नजर पडती है तो लगता है कि ये अभी हमारे बीच में हैं। कुछ भी हो कोरोना महामारी ने मृतकों की अस्थियों को भी लाकडाउन कर दिया है।
ये देशनीति का वक्त है : पं.संतोष सुल्लेरे
पं. संतोष सुल्लेरे के अनुसार सनातन धर्म की कुछ परंपरायें शास्त्र सम्मत हैं , कुछ वेद नीति, कुछ देशनीति , कुछ गांव नीति , तो कुछ कर्मकांड कुल नीति के अनुसार होते हैं। हमारी प्राचीन परंपरा भी रही है कि जिन लोगों के पास साधन व पैसा नहीं होता था वे फूल इकट्ठे रखे रहते थे। कुछ लोग पैदल जाया करते थे तो कुछ लोग जो इलाहाबाद जाकर फूल विसर्जन करने में समर्थ नहीं थे उनके परिजन के फूल दूसरे लोग ले जाकर विसर्जित करते थे। उनके अनुसार देश नीति के कारण ऐसे समय में प्रयागराज जाना संभव नहीं हो पा रहा है। जब देश की स्थिति सामान्य हो जाए तब एक माह से लेकर एक- दो वर्ष के बीच में कभी भी अस्थि विसर्जन के लिए जाया जा सकता है। एवंं इसमें मृतात्मा को शांति मिल जाएगी।