मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर 2 जनवरी से सर्वे शुरू हो गया है। इस जनवरी महीने में 4 सुनवाई होगी। 190 साल पुराने जन्मभूमि-ईदगाह विवाद में साल के दूसरे दिन से तेजी आ गई है।
गौर करें तो मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को 190 साल हो गए हैं। नए साल पर इसके निपटारे को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं। क्योंकि जनवरी में विभिन्न मामलों की सुनवाई क्रमश: 2 जनवरी, 12 जनवरी, 20 जनवरी और 23 जनवरी को होनी है। परिसर के अमीन आख्या यानी सर्वे/रिपोर्ट भी 20 जनवरी को कोर्ट में सौंपी जानी है। सर्वे और आपत्ति 2 जनवरी से शुरू हो गई है।
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर हिंदू पक्ष की दलील जानें। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के प्रबंध समिति सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी और संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी विजय बहादुर सिंह कहते हैं कि इस मसले पर 1832 से 1968 के बीच 9 केस कोर्ट में चले। सभी में हिंदू पक्ष जीता। यहां मंदिर से मस्जिद की ओर दरवाजा और हिंदू प्रतीक चिह्न मौजूद हैं।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि- वहीं मुस्लिम पक्ष के तर्क पर शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सचिव और वकील तनवीर अहमद कहते हैं कि 2 जनवरी को कोर्ट जैसे ही खुलेगी, हम अमीन सर्वे के खिलाफ स्टे ऑर्डर लेंगे। ईदगाह में कोई हिंदू प्रतीक चिह्न नहीं। ये ईरानी-मुगल कला से बनी है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि- शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के 30 साल से अध्यक्ष डॉ. जहीर हसन कहते हैं कि ईदगाह और मस्जिद 300 साल से ज्यादा पुरानी है। यहां लगातार नमाज होती रही हैं। विवाद का हल अगर बातचीत से निकलता है तो कोर्ट के बाहर समझौता किया जा सकता है। हालांकि, वे श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्वेच्छा से जमीन छोड़ने की मांग पर समाज की राय और मुस्लिम युवाओं में आक्रोश जैसी बात भी कहते हैं।
गौर करें तो अयोध्या विवाद के हल के बाद लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। साथ ही लोग चाहते हैं कि विवाद खत्म हो और लोग खुशी-खुशी रहें।