श्रीमद्भागवत ही संवेदनशीलता का संदेश दे सकती है – स्वामी स्वात्मानन्द

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सरेनी(रायबरेली)!पूर्व विधायक सुरेन्द्र बहादुर सिंह द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास स्वामी आत्मानन्द जी महाराज ने श्रोताओं को समुद्र मंथन,मोहिनी अवतार,राजा बलि की स्वर्ग पर विजय,वामन अवतार,ब्रह्मा,विष्णु,शिव,इंद्र, बृहस्पति,मनु,कश्यप,अदिति मगर और हांथी की कथा प्रसंगों के अलावा वासुदेव-देवकी को कंस द्वारा बंदी बनाया जाना,श्रीकृष्ण जन्म,ब्रज में जन्मोत्सव की कथा का श्रवण कराया।असनी कुटी के प्रसिद्ध सन्त स्वामी स्वात्मानन्द जी महाराज आज भी कथा श्रवण कर रहे थे।स्वामी स्वात्मानन्द जी महराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज जब सारे संसार में आपसी द्वेष और स्वार्थ का युद्ध छिड़ा हुआ है,ऐसे में श्रीमद् भागवत ही संपूर्ण विश्व को मानवता,सद्भाव और संवेदनशीलता का संदेश दे सकती है।उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल मानव-मानव के बीच ही नहीं प्राणीमात्र के प्रति हमें सहिष्णु बनाती है,वहीं प्रकृति और मनुष्य के बीच भी समन्वय स्थापित करती है।कथा व्यास स्वामी आत्मानन्द जी महराज ने कहा कि भागवत के अनुसार हरिमेधा ऋषि की पत्नी हरिणि के गर्भ से श्रीहरि के रूप में भगवान विष्णु ने अवतार लिया।इसी अवतार में उन्होंने मगरमच्छ से गजेन्द्र हांथी की रक्षा की।गजेंद्र पूर्व जन्म में द्रविड़ देश का इन्द्रद्युम्र नाम का राजा था।जो कि भगवान का अनन्य भक्त था। भक्ति के वश होकर राजा ने सब कुछ छोड़कर एक पर्वत पर मौनव्रत धारण कर रहने लगा। पर्वत पर वह कठोर तप में लीन हो गया।एक दिन उनके पास महर्षि अगस्त्य आए परंतु इंद्रद्युम्र भगवान की भक्ति में इतने खोए थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि महर्षि अगस्त आए हैं।इसी कारण इन्द्रद्युम्र ने अगस्त मुनि की न आवभगत की और न ही उनके चरण-स्पर्श किए।तब अगस्त्य मुनि ने उनको हांथी बनने का शाप दे दिया था।इसी शाप के प्रभाव से इन्द्रद्युम्र अगले जन्म में गजेंद्र नाम का हांथी बना।गजेंद्र हांथी अन्य हाथियों के साथ एक सरोवर में पानी पीने के लिए गया लेकिन पानी पीने के बाद वह सरोवर में साथी हाथियों के साथ जलक्रीड़ा करने लगा।इसी दौरान सरोवर में एक मगरमच्छ ने गजेंद्र का एक पैर पकड़ लिया।हांथी ने पहले तो खुद को बचाने के बहुत प्रयास किए परंतु उसके सारे प्रयास असफल हो गए।अब गजेंद्र ने मृत्यु निश्चित मानकर भगवान का स्मरण आरंभ कर खुद को भगवान की शरण में छोड़ दिया।गजेंद्र को अपने पूर्वजन्म में की गई भगवान की आराधना का स्मरण था।उस समय गजेंद्र की प्रार्थना सुन कर भगवान विष्णु वहां आए और गजेंद्र को उस मगर से बचाया। विष्णु का यह अवतार श्रीहरि अवतार कहा गया है।भगवान श्रीहरि ने गजेंद्र के प्राणों की रक्षा की तथा मोक्ष प्रदान किया।व्यास पीठ स्वामी आत्मानन्द जी महराज ने समुद्र मंथन,मोहिनी अवतार,राजा बलि की स्वर्ग पर विजय,वामन अवतार,ब्रह्मा, विष्णु,शिव,इंद्र,बृहस्पति,मनु, कश्यप,अदिति मगर और हांथी की कथा प्रसंगों के अलावा वासुदेव देवकी को कंस द्वारा बंदी बनाया जाना,श्रीकृष्ण जन्म,ब्रज में जन्मोत्सव की कथा का श्रवण कराया।मुख्य यजमान पूर्व विधायक सुरेन्द्र बहादुर सिंह व उनकी पत्नी रम्भा सिंह ने व्यास पीठ सहित सभी संत-महात्माओं की आरती उतारी।इस अवसर पर प्रमुख रूप सेे पहुंचे प्रसिद्ध समाज सेवी रमेश दीक्षित ने सभी संत महात्माओं समेत पूर्व विधायक सुरेन्द्र बहादुर को अंगवस्त्र पहनाकर सम्मान किया!इस मौके पर संतों में डण्डी स्वामी जितेन्द्रानन्द तीर्थ,परमेश्वरानन्द तीर्थ,उद्धवदेव तीर्थ,प्रबुद्धाश्रम तीर्थ,राधेश्यामाश्रम तीर्थ, सूर्याश्रम तीर्थ,समाजसेवी रमेश दीक्षित,डा. पी.के. श्रीवास्तव,डा. अविनाश सिंह,डा. दुर्गेश प्रताप सिंह,करन सिंह,अनूप सिंह,शिवपूजन सिंह,स्वयम्बर सिंह,राघवेन्द्र सूर्यवंशी आदि सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे!

रिपोर्ट- संदीप कुमार फिजा

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