रिपोर्ट – अनुज मौर्य
रायबरेली। स्टांप खजाने के दरबारों की तहसील स्तर पर लापरवाही इतनी बढ़ गई है कि मूल्य 10 ₹20 के स्टांप तो कई हफ्तों से नदारद थे ही।अब सिविल में भी नदारद हो गए । वही अब सौ- पचास के स्टांप पूरी तरह से गायब। दिक्कत यह हो रही है कि व्यक्ति का जो कार्य ₹10 के स्टांप मे होता था। उसके लिए भी अधिक मूल्य के स्टैम्प को खरीदना पड़ रहा है। बैंक, स्कूलों अन्य जगहों पर गलती संशोधन के लिए भी शपथ पत्र देना है तो ₹500 मूल्य तक के स्टांप खरीदना पड़ता हैं। जो कि 10 या ₹20 के स्टांप में भी संभव है। जिस पर अगर समय रहते ध्यान दिया गया होता तो अधिक मूल्य खरीदारों को चुकाना ना पडता। पर जिम्मेदार सब मस्त है। जानबूझकर इस तरह की लापरवाही की जा रही है जानकारी करने पर बताया गया कि अगले हफ्ते तक सभी प्रकार के स्टाम्प की पूर्ति हो पाएगी।