बहुत ज़रूरी हो तो आइए बैंक, प्रिंटर खराब है लगेगा ज्यादा समय

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राकेश कुमार अग्रवाल

कुलपहाड (महोबा)। बैंकिंग सिस्टम को तकनीकी से जोडकर सेवा व सुविधाओं को हाईटेक बनाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर नगर के स्टेट बैंक में काम कराना हो तो कृपया दो तीन का समय निकाल कर रखिए। हफ्ते में तीन दिन बैंक का सर्वर ही खराब बना रहता है। खाताधारक दिन दिन भर इंतजार में बैठा रहता है और शाम को मायूस होकर घर लौट जाता है।

तहसील के सभी बैंकों में सबसे ज्यादा खाताधारकों वाले इस बैंक में सुबह से मेला सा लगा रहता है। भीड को नियंत्रित करने के लिए कोई इंतजाम न होने के कारण एस बी आई शाखा में सोशल डिस्टेंशन की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बैंक सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मी बाहर के बजाए अंदर की व्यवस्था संभालते हैं। सिविल पुलिस वहां से नदारत रहती है।

इस समय सरकार द्वारा लोगों के खातों में आ रही विभिन्न योजनाओं की धनराशि निकालने के लिए बैंकों में भारी भीड़ उमड़ रही हैं, जिसको लेकर बैंक के अधिकारियों ने टोकन सिस्टम लागू कर दिया हैं। पहले आओ पहले पाओ की नीति के तहत सुबह 6 बजे से 8 बजे तक टोकन दिए जाते हैं, फिर दस बजे के बाद टोकन नम्बर के आधार पर एक एक उपभोक्ता को बैंक के अंदर जाने दिया जाता है। अपनी बारी का इंतजार करने के लिए बैंक के गेट पर ही एकत्रित होकर लोग भीड़ लगा लेते हैं। जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल नहीं रखा जाता हैं। उन्हें डर लगा रहता है कि कहीं नेटवर्क चले गए तो पूरे दिन का समय बर्बाद हो जाएगा. क्योंकि यहां आए दिन बैंक के गेट पर नेट वर्क फेल की तख्ती टांग दी जाती है। और सारे दिन बैंक के बाहर नेटवर्क का इन्तजार करके अंत में खाली हाथ लौटने को मजबूर हो जाते हैं। वहीं बैंक ड्यूटी में तैनात पुलिस कर्मी भी अपना पल्ला झाड़कर इधर उधर टहलते नजर आते हैं। जिलाधिकारी द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद भी यहां पर खुलेआम सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यह सब देखकर भी स्थानीय प्रशासन मौन है।

बैंक के प्रिंटर खराब बता कर दो महीने से पासबुक को अपडेट करना बंद कर दिया गया है। ताकि काम का बोझ न बढे। यही हाल एटीएम का है, एटीएम को भी अकारण अनिश्चित काल से बंद कर दिया है। ऐसे में बैंक वापस बीस साल पहले वाले दौर में पहुंच गया है। और इसका खामियाजा बैंक उपभोक्ताओं को उठाना पड रहा है।

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