अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष

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ग्रामीण महिलाओं को सशक्तीकरण की राह दिखाती पूनम

कुलपहाड ( महोबा )
गांव की एक शिक्षित बेटी दो साल से ग्रामीण महिलाओं के लिए आशा की किरण बनी हुई है . वह न केवल महिलाओं को सशक्तीकरण की राह दिखा रही है बल्कि उनको स्वरोजगार के लिए सुदृढ भी कर रही है .
निकटवर्ती ग्राम मुढारी के रमेश सेन की बेटी पूनम सेन एमए की छात्रा होने के साथ ही गांव में प्रदेश के ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित उ.प्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह की समूह सखी है . मुढारी में 40 समूह संचालित हैं . जिनमें लगभग 600 महिलाएं काम करती हैं . गांव में शीघ्र ही दो और नए समूह संचालित होने वाले हैं. पूनम ने दो साल पहले समूह की महिलाओं से जुडकर उन्हें प्रेरित करने व प्रशिक्षण देना शुरु किया . अधिकारियों ने पूनम के काम से खुश होकर उसे पहले समूह सखी फिर बीओ फिर लेखपाल पद का दायित्व सौंपा . पूनम वर्तमान में सभी समूहों का डाटा फीडिंग करने के अलावा समूह का बैंकों का लेन देन का काम भी करती है . जिसके कारण वह पूरा पूरा दिन व्यस्त रहती है . पूनम के काम को देखते हुए कुछ समय पहले जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने उसे कलेक्ट्रेट में सम्मानित किया था . पूनम को कम से कम आधा दर्जन बार उसके काम को देखते हुए अलग अलग मंचों से सम्मानित किया जा चुका है . मुढारी में संचालित लगभग 40 समूहों में से 13 समूह बहुत बेहतर काम कर रहे हैं एवं आय अर्जित कर रहे हैं .
इन स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं को बकरी पालन , भैंस पालन , ब्यूटी पार्लर , मुर्गी पालन , दुग्ध उत्पादन , कपडा , किराना , मसाला समेत दर्जनों प्रोजेक्ट संचालित किए जा रहे हैं . दो साल से सेवाएं दे रही पूनम को अभी तक किसी प्रकार की कोई आर्थिक मदद या कोई लाभ नहीं मिला है . फिर भी पूनम निस्वार्थ भाव से महिलाओं के सशक्तीकरण के मिशन में जुटी हुई है . पूनम के माता पिता सिलाई करके परिवार की भरण पोषण करते हैं . पूनम अपने काम से खुश है . उसके अनुसार गांव की महिलाएं भी अब समूहों से जुडकर पैसा अर्जित कर रही हैं . स्वावलम्बी बन रही हैं . यही उसके लिए सबसे बडा इनाम है .

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