अपनों की बेरुखी से दुखी है मन्दाकिनी

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मन्दाकिनी के नाम पर भव्य गंगा आरती व लेजर शो की हो चुकी है शुरुवात

संदीप रिछारिया (वरिष्ठ संपादक)

चित्रकूट। मानव के तन और मन को पवित्र करने साथ पापों को खा जाने वाली पतित पावनी सुरसरि धारा मन्दाकिनी नदी अपनों के दिए घाव के कारण कराह रही है। गंभीर बात यह है कि एक तरफ तो चित्रकूट जिले की इस जीवन रेखा का दोहन आम लोगो के साथ अधिकारी तेजी से कर रहे है,वही दूसरी ओर इसको विश्व समुदाय के सामने इवेंट के रूप में प्रस्तुत कर धन दोहन भी जोरो से हुआ। मन्दाकिनी सेवा समिति बनाकर भव्य गंगा आरती की शुरुवात पिछले साल नवंबर में किया गया। लेजर लाइट वाटर शो की शुरुवात की गई। मन्दाकिनी गंगा की आरती के नाम पर 15 हजार का चढ़ावा भी तय किया गया, लेकिन मन्दाकिनी में गिरने वाले नाले बन्द नही हो सके।

हैरत की बात यह है कि लगभग एक महीने से जब कोरोना के भय के कारण लगभग पूरे विश्व मे लॉक डाउन चल रहा है,ऐसे में जब गंगा,यमुना सहित पूरे विश्व की तमाम नदियो के साफ होने का दावा किया जा रहा है,मन्दाकिनी में क बढ़ रही गंदगी चिंतनीय है।
यह नदी दो प्रदेशो में होकर बहती है। मध्य प्रदेश की सीमा में तो नदी का भाग रामघाट में ही समाप्त हो जाता है। पिछले चार दिनों से मध्य प्रदेश में नयागांव के सीएमओ रमाकांत शुक्ला अपने सीमित संसाधनों से नदी की सफाई भी कर रहे है,लेकिन उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में इस तरह की कोई पहल नही की गई है। मन्दाकिनी पुत्र बनने का नाटक करने वाले अवार्ड धारी संत और बांदा में अपने मन्दाकिनी फ्राड के जरिये पूर्व डीएम हीरालाल से सम्मानित होने वाले कथित समाजसेवी भी परिद्रश्य से गायब है। सबसे गंभीर पहलू यह है कि आज भी नदी में घाटों के सुंदरीकरण के नज़्म पर डाली गई लाखो बोरी बालू सिल्ट में इजाफा कर रही है। सिचाई विभाग के अधिकारियों के झूठ के सामने किसी के पास कोई उन पर नकेल कसने को तैयार नही है। आने वाले दिनों में अगर यही हाल रहे तो मन्दाकिनी पूरी तरह से सूख जाएगी और प्रशासन के शुरू किए इवेंट बेकार हो जाएंगे।

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