आरटीई को लेकर बाल आयोग गंभीर मिला अभिभावकों को राहत

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-जिलाधिकारी व बेसिक शिक्षा अधिकारी से 5 दिन के अंदर मांगा गया जवाब

-राइट-टू-एजुकेशन के तहत प्राइवेट स्कूलों द्वारा मुफ्त एडमिशन के आवेदकों का दाख़िला नहीं लेने का मामला

वाराणसी: विद्यापीठ, बुधवार (28/10/2020) बेसिक शिक्षा विभाग पर राइट-टू- एजुकेशन (आरटीई) के तहत प्राइवेट स्कूलों द्वारा मुफ्त एडमिशन के आवेदकों का दाख़िला नहीं कराने का आरोप है. उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कम्प्लेन को गंभीरता से लिया है. आयोग ने इस संबंध में डीएम और बीएसए से पाँच दिनों में सम्बंधित अभिभावकों के बच्चों का दाख़िला सुनिश्चित कराके रिपोर्ट तलब किया है. विद्यापीठ ब्लॉक के पाँच अभिवावकों के बच्चों का आरटीई के तहत क्षेत्र के नामचीन प्राइवेट स्कूल में लॉटरी में नाम आया था लेकिन स्कूलों द्वारा बच्चों को एडमिशन लेने में आनाकानी हिला हवाली किया जा रहा था जिस बावत अभिवावकों ने बीएसए और डीएम को लिखित व मौखिक कई बार शिकायत किया था कोई कार्रवाई नहीं होने से इस संबंध में पीड़ितों की तरफ़ से देव एक्सेल फ़ाउन्डेशन के प्रमुख विनय सिंह ने उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग से शिकायत की. आरोप लगाया है कि प्रतिष्ठित स्कूलों द्वारा दाख़िला लेने से मना किया जा रहा है अभिभावकों को दौड़ाया जा रहा है इस तरह से आरटीई एक्ट का उल्लंघन करते हुए अभिभावकों का आर्थिक व मानसिक शोषण संबंधित स्कूलों द्वारा किया जा रहा है आयोग के अध्यक्ष डा विशेष गुप्ता इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस संबंध में डीएम और बीएसए से उक्त बच्चों का दाख़िला संबंधित स्कूलों में सुनिश्चित कराते हुए जिसकी जानकारी मांगी है. वहीं आरटीई के नोडल अधिकारी विमल केशरी ने बताया कि शिकायत मिलने पर संबंधित स्कूलों को नोटिस जारी किए गए थे.

रिपोर्ट राजकुमार गुप्ता
वाराणासी

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