राकेश कुमार अग्रवाल
किसी शायर ने लिखा है कि
मौत से बदतर है किसी का इंतजार करना
और मेरी तमाम उम्र कटी है इंतजार में .
इंतजार कराना अगर वीवीआईपी की फितरत होती है तो इंतजार करना आम आदमी की या फिर मातहत की नियति होती है . लेकिन शुक्रवार को बंगाल में जो हुआ उसने सब कुछ उल्टा पुल्टा कर दिया . देश के मुखिया यानी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चक्रवात यास से हुए नुकसान का जायजा लेने बंगाल और उडीसा पहुंचे थे . प्रोटोकाल के तहत राज्य का मुखिया प्रधानमंत्री की अगवानी करता है .
एक फिल्मी गाने की तर्ज पर बात करें तो प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ममतामयी दीदी के इंतजार करने का हाल कुछ इस तरह था कि
इंतेहा हो गई इंतजार की
आई न कुछ खबर मेरे यार की
ये हमें है यकीं , बेवफा वो नहीं
फिर वजह क्या हुई , इंतजार की ..
प्रधानमंत्री को दीदी ने पूरा आधा घंटा इंतजार कराया . दीदी यहीं नहीं रुकीं प्रधानमंत्री की बैठक में भाग लेने के बजाए उन्हें रिपोर्ट सौंपकर 20000 करोड का राहत पैकेज मांगा और अगली मीटिंग के लिए कुछ इस अंदाज में निकल पडीं कि
वो आ के शहर ,
गांव अपने वापस चली गई
मैं था कि अपने घर को सजाता ही रह गया .
इंतजार के पल ही बडे अजीब होते हैं जो किसी को भी बेचैन कर देते हैं .
एक प्रेमी ने तो अपनी प्रेमिका से मिलने का इतना इंतजार किया कि यह सुनकर शायर की कलम ही रो पडी कि
मर कर भी खुली रही मेरी आँखें
इससे बढकर तेरा इंतजार क्या होगा .
रामचरितमानस के उस प्रसंग को याद करिए जब राम लंका जाने के लिए तीन दिन तक समुद्र से अनुनय विनय करते रहे . समुद्र के पिघलने का इंतजार करते रहे . तुलसीदास ने जिसका वर्णन करते हुए लिखा था कि
विनय न मानत जलधि जड
गए तीन दिन बीत ……
इसी प्रसंग को रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी कविता के माध्यम से कुछ इस तरह पेश किया था कि
तीन दिवस तक पंथ मांगते
रघुपति सिंधु किनारे
बैठे पढते रहे छंद
अनुनय के प्यारे प्यारे..
मतलब साफ है कि इंतजार तो रघुपति को भी करना पडा था वो भी तीन दिन तक . भारतीय रेलवे हो या अन्य कोई भी परिवहन सेवा इन्होंने तो बाकायदा अपने स्टेशनों और अड्डों पर प्रतीक्षालयों का ही निर्माण करा डाला ताकि चुपचाप बैठो और करते रहो इंतजार .
इलेक्ट्रानिक मीडिया की पत्रकारिता में तो बाइट लेने के लिए मुझे घंटों इंतजार करना पडता था . वह भी कुछ इस अंदाज में कि
तेरी उम्मीद तेरा इंतजार करते हैं . और यूं लगता था कि सामने वाला हमीं से कह रहा हो कि
थोडे इंतजार का मजा लीजिए ..
वो तो आज के दौर में गनीमत है कि पूल पत्रकारिता का दौर है अन्यथा पहले तो 30 सेकेंड की बाइट के लिए मैंने तीन तीन घंटे का इंतजार किया है . तीन घंटे का इंतजार कराने के बाद भी नेता जी और साहब लोगों को गाडी में बैठने की इतनी जल्दी रहती थी कि बाइट के लिए भागना पडता था . चिरौरी करना पडती थी . सर , सर , प्लीज , प्लीज करना पडता था . डर रहता था कि बाइट न होगी तो खबर कैसे चलेगी .
मुझे तो लगता है कि पूरी व्यवस्था ही इंतजारी संस्कृति में बदल गई है . तभी तो होटल में खाने जाओ तो आर्डर के बाद आधा घंटा इंतजार करो . कई बार तो ऐसा महसूस होता है कि आर्डर लेने के बाद होटल वाला स्कूटी से किराना और सब्जी मंडी सामान लेने तो नहीं निकल गया . ये तो अच्छा हुआ कि स्टार्टर ईजाद हो गया . मैं तो अब स्टार्टर से ही पेट भर लेता हूं .
इंतजार करना क्या होता है ये उन नवविवाहित जोडों से पूछो जिनकी शादी पिछले वर्ष होना थी लेकिन ऐन वक्त पर लाॅकडाउन लग गया और शादी टलती गई , टलती गई . टलते टलते हालात यह हुए कि कहीं रिश्ता न टूट जाए इसलिए इस साल के लाॅकडाउन में राम राम करके निपटाना पडी . इन गर्मियों में होने वाली शादियाँ अभी इंतजार के मोड में पहुंच गई हैं . इंतजार तो चुनाव आयोग भी कराता है . पहले तो चुनाव तिथियों की घोषणा का इंतजार , फिर महीने दो महीने तक चलने वाली चुनावी प्रक्रिया का लंबा इंतजार इसके बाद मतगणना का इंतजार . कमोवेश यही हाल शिक्षा व्यवस्था में होता है . दो साल से छात्र बोर्ड परीक्षाओं का इंतजार ही कर रहे हैं . प्रतियोगी परीक्षाओं के परीक्षार्थियों को परीक्षा तिथि से लेकर रिजल्ट का इंतजार होता है .
और तो और जिस तरह से कोरोना ने डराया है . मीडिया रिपोर्टों ने तीसरी लहर के नाम पर डरा रखा है . लोग दीदे फाडे इंतजार कर रहे हैं कोरोना की तीसरी लहर का कि मरने के पहले तीसरी लहर भी देख लें . तमाम लोग तो तीसरी लहर के चक्कर में दुबले हुए जा रहे हैं कि तीसरी लहर देखने तक वे बच पाएंगे या नहीं .
हम तो यही कहेंगे कि
हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक
खुदा करे कि कयामत हो , और तू आए .
वीवीआईपी लोगों को भी सोचने की जरूरत है कि जब इंतजार का एक एक पल एक एक सदी जैसा कटता है . फिर भी जब भी आप देर सबेर आते हैं तब भी हम आपसे यही कहते हैं कि
आइए आपका इंतजार था
देर लगी आने में तुमको
शुकर है फिर भी आए तो ………
ये क्या कम है दीदी आईं तो .आखिर इतनी ममता तो उनके दिल में आपके लिए है ही .
इंतेहा हो गई इंतजार की …….
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