एक घंटे तक फोन करने के बावजूद नहीं आई एंबुलेंस

12

रिपोर्ट- सुधीर त्रिवेदी वरिष्ठ संवाददाता
जसपुरा के सिकहुला में सड़क हादसे में घायल अस्पताल में तड़पता रहा ।
गंभीर हालत होने पर चिकित्सकों ने घायल को किया था कानपुर रेफर ।

बांदा। बेहतर सेवा देने का दम भरने वाली 108 एंबुलेंस के कर्मचारी कितने संवेदनहीन हैं, इसका उदाहरण रविवार को देखने को मिला। जसपुरा थाने के सिकहुला गांव में कार की टक्कर से घायल एक बालक को जिला अस्पताल लाया गया, प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने कानपुर रेफर कर दिया। परिजनों ने 108 नंबर एंबुलेंस को लगातार एक घंटे तक फोन किया, लेकिन अफसोस की बात यह रही कि एंबुलेंस नहीं आई, घायल तड़ता ही रह गया। बाद में परिजन किसी तरह बालक को कानपुर ले गए।
जसपुरा थाना क्षेत्र के सिकहुला गांव निवासी राघवेंद्र (14) पुत्र सुखनंदन रविवार की दोपहर को साइकिल में सवार होकर खेत से घर लौट रहा था। तभी भरुआ की तरफ से आ रही तेज रफ्तार कार ने उसे टक्कर मार दी, जिससे वह छिटककर दूर जा गिरा और गंभीर रूप से घायल हो गया। उसकी कमर टूट गई और सिर में भी गंभीर चोटें हैं। आनन-फानन में घायल को जिला अस्पताल लाया गया। जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने उसका प्राथमिक उपचार किया और हालत गंभीर होने पर कानपुर के लिए रेफर कर दिया। इस पर परिजनों ने 108 एंबुलेंस को फोन किया। लगातार एक घंटे तक फोन पर फोन किए गए, लेकिन संवेदनहीन कर्मचारी एंबुलेंस लेकर मौके पर नहीं पहुंचे। बेचारा घायल अस्पताल में तड़पता रहा। तकरीबन दो घंटे बाद परिजन किसी तरह से बालक को कानपुर ले गए। कुल मिलाकर बेहतर सेवा देने का दावा करने वाली 108 एंबुलेंस सेवा का स्तर कितना गिरता जा रहा है। एंबुलेंस सेवा के जिम्मेदारों ने भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। गौरतलब हो कि ऐसा अक्सर होता है कि एंबुलेंस को फोन करो और एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंचती है, अक्सर तो मरीज एंबुलेंस के इंतजार में ही दम तोड़ देते हैं। क्योंकि सभी तीमारदारों के पास इतना रुपया नहीं होता कि वह प्राइवेट एंबुलेंस का भाड़ा अदा कर सकें।

Click