कलेक्ट्रेट सभागार में हुआ कार्डियक सीपीआर कार्यशाला का आयोजन

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अयोध्या। जिलाधिकारी नितीश कुमार की उपस्थिति में कलेक्ट्रेट के नवीन सभागार में एक दिवसीय सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) की कार्यशाला का आयोजन किया गया।

जिसमे राजकीय चिकित्सा अधिकारी, वाराणसी डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदीे ने कार्डियक अरेस्ट आने पर बरती जाने वाली सावधानियों और सीपीआर की बारीकियों से सब को अवगत कराया तथा जनपद के विभिन्न विभागों के जनपद स्तरीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सीपीआर का प्रशिक्षण प्रदान किया।

उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। आजकल जांगिंग और डांस करते समय भी लोगों को कार्डियक अरेस्ट हो रहा है। ऐसी घटनाओं में देश के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है। ऐसे समय में सीपीआर देने की जानकारी अधिक से अधिक लोगों को होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि कार्डियक अरेस्ट में मरीज के लिए पहला तीन मिनट गोल्डन टाइम होता है। अगर नौ मिनट तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिले तो व्यक्ति ब्रेन डेथ का शिकार हो सकता है।

इस समय मरीज को सीपीआर दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। डा. द्विवेदी ने बताया कि सीपीआर एक मेडिकल थेरेपी की तरह है। इससे कार्डियक अरेस्ट आने पर मरीज को सीपीआर देते हुए अस्पताल पहुंचाया जाता है।

सीपीआर तब तक देते रहना चाहिए जब तक एंबुलेंस न आ जाए या मरीज अस्पताल या विशेषज्ञ चिकित्सक के पास नहीं पहुंच जाए। ऐसा करने से मरीज के बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है तो ऑक्सीजन की कमी से शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगी है।

इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है। सही समय पर सीपीआर और इलाज शुरू नहीं होने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। इस विधि से व्यक्ति की सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को विशेष तरीके से दबाया जाता है।

प्रशिक्षण के दौरान डा. द्विवेदी ने मानव शरीर की डमी पर सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) प्रक्रिया को करके दिखाया। उन्होंने दिखाया कि सीपीआर के लिए सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है। उसकी नाक और गला चेक कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है।

इसके बाद अपने दोनों हाथों की मदद से विशेष तरीके से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में तेजी से दबाना होता है। हर एक पुश के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने देना चाहिए। इससे शरीर में पहले से मौजूद रक्त को हृदय पंप करने लगता है। 30 बार पुश करने के बाद मुंह पर साफ रूमाल रखकर दो बार सांसें दी जाती हैं। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह शुरू होता है और मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलने लगती है।

प्रशिक्षण के उपरांत जिलाधिकारी श्री नितीश कुमार ने मानव शरीर के डमी पर पुनः सीपीआर की समस्त प्रक्रियाओं को चरणबद्ध तरीके से करके दिखाया तथा उपस्थित अधिकारियों एवम् कर्मचारियों को सीपीआर के बारीकियों की अन्य लोगों को भी जानकारी देने हेतु प्रेरित किया।

जिलाधिकारी ने कहा कि कार्डियक अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं व इससे हो रही मृत्यु के दृष्टिगत सीपीआर कार्यशाला का आयोजन किया गया। उन्होंने आगे कहा कि किसी भी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट आने पर उसे समय से सही तरीके से सीपीआर देने से उसकी जान बचाई जा सकती है।

सीपीआर क्या होता है?

कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक आपातकालीन प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की सांस या दिल के रुकने पर उसकी जान बचाने में मदद कर सकती है। जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तो उसे कार्डियक अरेस्ट कहते हैं।

कार्डियक अरेस्ट के दौरान हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पंप नहीं कर सकता है।

इस अवसर पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/उपजिलाधिकारी  विशाल कुमार, अपर जिलाधिकारी नगर सलिल पटेल, अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमित सिंह, अपर जिलाधिकारी एलओ जितेंद्र कुमार कुशवाहा, नगर मजिस्ट्रेट अरविन्द कुमार द्विवेदी, विभिन्न विभागों के जनपद स्तरीय अधिकारी एवम् कर्मचारी तथा पुलिस विभाग के अधिकारी एवम् कर्मचारी उपस्थित रहे।

  • मनोज कुमार तिवारी
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