कहने को तो बैंक आफ बड़ौदा में ख़ाता धारकों की संख्या एवं टर्न ओवर अन्य बैंकों से तीन गुना है किन्तु

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महराजगंज रायबरेली , कहने को तो बैंक आफ बड़ौदा में ख़ाता धारकों की संख्या एवं टर्न ओवर अन्य बैंकों से तीन गुना है किन्तु सुविधाएं देने में यह बैंक फिसड्डी नजर आता है।
बताते चले की दस हजार ख़ाता धारक होने के बावजूद कस्बा स्थित बैंक आफ बड़ौदा में मात्र एक प्रिंट मशीन ख़ाता धारकों के लिए मुसीबत का सबब हो रही। ज़ी का जंजाल बनी यह पास बुक प्रिंट मशीन महीने में अधिकतर या तो खराब रहती है या फिर सर्वर ना होने से खाताधारको को चक्कर पे चक्कर लगवाती है। आलम यह है की बैंक आफ बड़ौदा में तो ख़ाता खुलवाना आसान है किन्तु पास बुक प्रिंट कराना मतलब लोहे के चने चबाने जैसा है। मालूम हो की सबसे ज्यादा परेशानी तो वृध्दा एवं सेवानिवृत पेंशन धारकों को बार बार बैंक से मशीन खराब होने के चलते चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ता है। वहीं बैंक आफ बड़ौदा की कस्बा स्थित शाखा की बदइंतजामी का आलम यह है की अधिक खाताधारक होने के बावजूद इस बैंक में खाताधारकों के सापेक्ष कर्मियों की संख्या नाम मात्र होने के चलते जमा निकासी को आने वालों को घंटों लाईन में लगे होना पड़ता है। मामले में शाखा प्रबंधक ललित कुमार यादव ने बताया की प्रिंट मशीन को ठीक कराने के लिए उच्चाधिकारियों को सूचित किया जा चुका है।

रिपोर्ट- अशोक यादव एडवोकेट

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