कैसे मनाऊँ फादर्स डे – कमलेश राजपूत

385

बेटी को ब्लड कैंसर, बेबस पिता – मजबूर मां

राकेश कुमार अग्रवाल

कुलपहाड (महोबा)। एक पिता का स्वाभिमान तब चूर चूर हो जाता है जब उसकी संतान अस्पताल में जिंदगी की जंग लड रही हो और बेबस पिता के पास बेटी के इलाज के लिए पैसे भी न हों, हास्पिटल का सुरसा की तरह बढ रहा बिल हो। ऐसे हालात में लाचार पिता को लोगों से मदद की गुहार लगाना पड रही है।

कुलपहाड तहसील के ग्राम बगवाहा निवासी कमलेश राजपूत को हालात ने भले बुरी तरह तोड दिया हो लेकिन बेटी को बचाने की जंग में वे यमराज से भिड गए हैं। कमलेश की दस वर्षीया बेटी उन्नति को ब्लड कैंसर है। उसका कानपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। लेकिन उसके पास अस्पताल का भारी भरकम बिल अदा करने के पैसे नहीं है।
महोबा के एक निजी विद्यालय में कक्षा ६ की छात्रा उन्नति के पैरों में गत १३ जनवरी को पहली बार दर्द हुआ था। दर्द से परेशान उन्नति का पिता ने बेलाताल , महोबा व झांसी में इलाज कराया। कोई फायदा न मिलने पर पिता ने एम्स दिल्ली से आनलाइन एप्वाइंटमेंट ले लिया था। 7 अप्रैल को कमलेश बेटी उन्नति को लेकर दिल्ली जाने वाला था। लेकिन दुर्भाग्य से इसी दौरान देश में लाॅकडाउन लग गया। ऐसे में बेटी को दर्द से निजात दिलाने के लिए कमलेश ने मंदिरों जल चढाने एवं जात्रा में जाने से लेकर तमाम दूसरे जतन किए लेकिन उसे कोई फायदा नहीं हुआ।
हाल ही में कमलेश बेटी को लेकर कानपुर के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचा। जहां डाक्टरों ने तमाम जांचें कराने के बाद ब्लड कैंसर की आशंका जताई। शनिवार को उन्नति की कन्फरमेशन रिपोर्ट भी पाजिटिव आने के बाद कमलेश और मनोरमा के होश उड गए। रिपोर्ट के साथ ही अस्पताल ने कमलेश को भारी भरकम बिल थमा दिया। उन्नति का उपचार डा.ऊषा वर्मा की देखरेख में चल रहा है।
कमलेश के पास महज ८ बीघा खेती है। जबकि उन्नति की मां मनोरमा महोबा के एक निजी विद्यालय में शिक्षिका है। मां मनोरमा बेटी के साथ किराए के मकान में रह रही है। पिता कमलेश का डिप्रेशन का इलाज भी चल रहा है। डा. ऊषा वर्मा के अनुसार उन्नति का कम से कम आठ माह इलाज चलेगा। एक माह उसे हास्पिटल में एडमिट रहना पडेगा। तब वह रिकवर हो पाएगी. लेकिन इलाज में लग रहा भारी भरकम पैसे ने कमलेश की कमर तोड दी है। मरता क्या न करता की स्थिति में कमलेश को मजबूरी में सोशल मीडिया पर बेटी की जान बचाने के लिए मदद की गुहार लगानी पड़ी है।

उन्नति पापा- मम्मी को टेंशन में देख समझ नहीं पा रही है कि उसे कौन सी बीमारी हो गई है। वहीं दूसरी ओर लाचार और बेबस पिता की आखिरी उम्मीद दूसरों से मिलने वाली मदद पर आकर टिक गई है।

Click