कोरोना में बेपटरी हो चुके प्रयागराज को संभालने की जिम्मेदारी संजय खत्री के कंधों पर

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खनन माफियाओं पर छापेमारी ने बनाया रियल हीरो

कैबिनेट मंत्री राजभर से विवाद के बाद से रहे चर्चा में

योगी सरकार ने विपरीत परिस्थितियों में कोरोना जंग जीत कर जिस तरह विश्व के मानचित्र पर उत्तर प्रदेश का नाम सबसे ऊपर किया है वो अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने दिन रात सभी जनपदों के दौरे कर के ऑक्सीजन, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान ही नही मुहैया करवाया बल्कि कोरोना में लापरवाही करने वाले अधिकारियों की भी खबर ली। प्रदेश में जिन जिलों में हालात बेकाबू थे उनमें सरकार की सबसे ज्यादा किरकिरी प्रयागराज से हुई। कई चेतावनी के बाद जब हालात नही सुधरे तो शासन ने देर रात उनका ट्रांसफर कर लापरवाही करने वालो के प्रति अपनी मंशा स्पष्ट कर दी। प्रयागराज के लिए ईमानदार और कर्मठ आईएएस की तलाश 2010 बैच के संजय खत्री पर जाकर रुकी और उनके कंधे पर जनपद को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी डाल दी गई।

कौन है आईएएस संजय खत्री

राजस्थान के जयपुर निवासी संजय खत्री 2009 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। संजय कुमार खत्री का जन्‍म राजस्थान के बाड़मेर में 27 जनवरी 1981 को हुआ था। आठवीं तक गांव में पढ़ाई के बाद शिक्षा अधिकारी पिता के साथ जयपुर चले आए। यहां इंटर के बाद जेआरआर यूनिवर्सिटी से फर्स्ट डि‍विजन से बीए की डिग्री हासिल की। फिर राजस्थान यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया। इसके बाद संजय का सिलेक्शन राजस्थान प्रशासनिक सेवा में हो गया। दो साल तक उन्होंने जालौर व पाली में अपनी सेवा दी। इसी बीच वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हो गए। 2009 बैच के आईएएस संजय कुमार खत्री ने मार्च 2016 में पहली बार गाजीपुर के डीएम का पदभार ग्रहण किया था। ट्रेनी के रूप में उरई (जालौन) में काम किया, फिर प्रतापगढ़ में करीब डेढ़ साल तक ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रहे और बाद में सीडीओ झांसी बने।

सहज स्वभाव संजय खनन माफिया से भिड़ कर हुए चर्चित

प्रशिक्षु अफसर जालौन में बसपा सरकार के कार्यकाल में उन्होंने खनन सिंडिकेट पर छापेमारी की थी। यह सिंडिकेट सीधे पॉन्टी चड्ढा से जुड़ा हुआ था। तब ऐसी कार्रवाई के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। दरअसल खनन विभाग के कुछ अफसरों पर जपनद के खनन माफियाओं ने हमला किया था। इसके बाद कार्रवाई का नेतृत्व तत्कालीन डीएम राजशेखर ने संजय खत्री को सौपा। संजय ने जिस ठिकाने पर छापा मारा, वहां से हथियार और नकदी भारी मांत्रा में बरामद हुए थे। तमाम सिफारिशों और दवाबों के बावजूद संजय ने किसी तरह से अपने कदम पीछे नहीं खींचे। जिसमे कई रसूखदार लोगो से आमना सामना भी हुआ। संजय ने निर्भीकता से अपना काम जारी रखा। भ्रष्टाचार के इस दौर में भी ईमानदारी से काम करने के कारण संजय लोगो की आंख की किरकिरी बने रहे।

प्रयोग और निडरता के कारण सरकार ने सौंपे चुनौतीपूर्ण कार्य

झाँसी सीडीओ रहते हुए संजय ने विकास भवन को किसी मल्टीनेशनल कम्पनी का लुक देने की कोशिश की। उनके कार्यालय परिसर में कभी पान-गुटखा की पीक मुश्किल से ही दिखाई दी। गंदगी दिखने पर पूरे दफ्तर के कर्मचारियों के साथ सफाई अभियान छेड़ देते थे। विकास भवन में किसी कारपोरेट कम्पनी की तर्ज पर उन्होंने रिसेप्शनिष्ट की तैनाती कराई थी जो आगंतुकों को अफसरों और दफ्तरों की स्थिति की जानकारी देती थी। यही नही मनरेगा और विकास कार्यों से जुड़े कई बड़े भ्रष्टाचारों का उन्होंने खुलासा किया। कई ग्राम प्रधानों और अफसरों पर उनके कार्यकाल में केस दर्ज किये गए। कई के खिलाफ जांच कमिटी गठित की गई। कई जिलाधिकारियों के साथ बतौर सीडीओ काम करने वाले संजय खत्री को हमेशा चुनौती भरी जिम्मेदारियां निभाने को मिलती रहीं।

कानून व्यवस्था के लिए बड़ी शख्सियतों से भी टकराये

लोकसभा चुनाव के दौरान झाँसी के मऊरानीपुर में एक स्थानीय दबंग माफिया को चुनाव में गड़बड़ी की सूचना मिलने पर इस अफसर ने खदेड़ लिया था। तब मऊरानीपुर का वह दबंग माफिया गाडी से कूदकर गलियों के रास्ते होकर भाग निकला था। इसके बाद गाजीपुर में तैनाती के दौरान मंत्री ओमप्रकाश राजभर से भी पंगा हो गया और संजय लगातार उनके निशाने पर रहे थे। मंत्री ने संजय खत्री के तबादले की मांग को लेकर योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इस मामले में सीएम योगी को हस्तक्षेप करना पड़ा था, हालांकि बाद में इनका तबादला रायबरेली कर दिया गया।

जुगत से दूर काम पर फोकस का मिला इनाम

एक ओर जहां प्रदेश के कई आईएएस सत्ता के गलियारों में अपनी उपस्थित दर्ज करवाने के लिए गणेश परिक्रमा करते हैं वही संजय के बारे में लोगो का कहना है कि वो इन सब से कोसो दूर रहकर सिर्फ काम से ही मतलब रखते हैं। उनकी निष्ठा और लगन की वजह से ही योगी सरकार ने उन्हें प्रयागराज की अहम जिम्मेदारी सौंपी है। हाल ही में विदेशी मीडिया ने प्रयागराज में जमावड़ा लगाकर गंगा किनारे तैरती लाशों की जमकर कवरेज की। जिसमे तत्कालीन डीएम और सरकार की काफी आलोचना हुई। अब देखना ये है कि जनपद की तमाम इकट्ठी हो चुकी समस्याओं से संजय खत्री कैसे निपटते है और योगी सरकार के प्रति जनमानस में भरे आक्रोश को कैसे दूर करते हैं जिसके लिए सरकार ने उन पर भरोसा जताया है।

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