गंगा स्वच्छ अभियान की ब्रांड एम्बेसडर डॉक्टर नंदिता पाठक ने सेवाभाव देख बढ़ाया हरेश्याम का उत्साह

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संदीप रिछारिया ( वरिष्ठ संपादक)चित्रकूट। अपने वो है जो वंचित,पीड़ित और उपेक्षित है। राष्ट्रऋषि भारत रत्न नाना जी देशमुख की क्यारी से निकले फूल हरेश्याम मिश्र इस बोधवाक्य को सही मायने में जी रहे है।गुरुवार की देर रात निर्मोही अखाड़े के नीचे भूखों को भोजन कराने के बाद जैसे ही देखा कि हरेश्याम ड्यूटी कर रहे पुलिस के जवानों को चाय व स्वल्पाहार की व्यवस्था कर रहे है,तो कैमरा चमक उठा। फोटो डॉक्टर नंदिता पाठक को भेज दी। फिर क्या अत्यंत प्रफुल्लित मन से डॉक्टर पाठक की उंगलियां चल पड़ी। आपके सामने हूबहू रख रहा हूं।मानवीय गुणों से ओतप्रोत मानव ही दूसरों को प्रेरणा देते हैं ।चित्रकूट प्रभु राम की तपस्थली है संत महात्माओं का आशीर्वाद एवं उनकी छत्र छाया में पल रहे लोग देश-विदेश में अपनी ख्याति स्थापित कर रहे हैं उसी तारतम्य में निर्मोही अखाड़ा चित्रकूट में परम पूजनीय श्री श्री 1008 रामाश्रय दास जी महाराज जी के संगत में पले बड़े श्री हरेश्याम मिश्रा जी मूलतः एचवारा के समीप लौहगटा गांव उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। उनके भाई श्री घनश्याम मिश्रा जी निर्मोही अखाड़ा चित्रकूट में रहने के कारण गांव में रहने वाला हरेश्याम मिश्रा जी को पढ़ने चित्रकूट आना पड़ता है ।सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट द्वारा संचालित विद्या धाम में पढ़ते समय श्रीमती उषा जैन जी से प्रेरित रहा। पढ़ाई के साथ साथ वे श्री लखन जी के साथ लाइट एंड साउंड सिस्टम का काम सीखा वह बताता है उसका पहला गुरु रोजगार की दृष्टि से स्वर्गीय लखन भाई है ।एक दिन दीनदयाल शोध संस्थान के डॉक्टर भरत पाठक जी की नजर हरेश्याम के ऊपर पड़ी पाठक जी ने हरेश्याम को राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख जी द्वारा स्थापित चित्रकूट प्रकल्प के उद्यमिता विद्यापीठ में कार्य करने को कहा ।1999 – 2000 में उसने उद्यमिता विद्यापीठ में बने उत्पादों की मार्केटिंग का कार्य प्रारंभ किया। गाड़ी चलाने से लेकर उत्पादन की गतिविधियां, साउंड सिस्टम चलाना ,कंप्यूटर चलाना, गांव-गांव में जाकर रोजगार के प्रति जागरूक करना, वीडियोग्राफी ,फोटोग्राफी, बिजली का काम , वृक्षारोपण, उत्सव त्योहारों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने में पारंगत हुए। क्योंकि संस्थान में उसको सीखने का मौका मिला डॉक्टर नंदिता पाठक के साथ लंबे समय तक काम करते समय उनकी मदद से एमबीए की पढ़ाई भी किए ।माननीय नाना जी कहते थे एक व्यक्ति कई विषयों के जानकार हो सकते हैं नित नए प्रयोग करते हुए अपनी योग्यता को हर समय बढ़ाते रहना चाहिए यही प्रेरणा थी वह हर विषय में अपनी रुचि दिखाने लगा। जब भी चित्रकूट या चित्रकूट के आसपास कोई छोटी बड़ी समस्या आती थी तो हरेश्याम देखता था कि संस्थान के तत्कालीन प्रधान सचिव डॉ. भरत पाठक जी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर समस्या का समाधान करते थे ,उस वक्त वह खुद उन समस्याओं के निराकरण में भाग लेता था हरेश्याम 2017 में संस्थान के कार्यों से अलग होकर स्वयं के कार्य प्रारंभ किए।एक सप्ताह पहले हरे श्याम ने फोन पर दीदी नंदिता पाठक से सलाह किया हम इस करौना महामारी के लॉक डौन माहौल में हम क्या कर सकते हैं ? घर पर ही रह रहे हैं घर से हम क्या कर सकते हैं ?तो उन्हे पता चला कि घर में जो भोजन बनता है सामने जो पुलिसकर्मी है यदि वे भूखे हैं तो भोजन कराओ ,पानी पिलाओ ,चाय पिलाओ, फिर क्या उसको राह मिल गया वह अपनी वेतन में से 30% अंश इस काम में लगाने को फैसला लिया ।चित्रकूट एमपी यूपी बॉर्डर में अपने योगदान देने वाले पुलिसकर्मियों को साफ पानी, टॉफी ,बिस्कुट, चाय उपलब्ध करा रहे हैं।जो गाड़ियों से जा रहे हैं दुकानें बंद होने के कारण खाने पीने का सामान नहीं मिल रहा है तो उन्हें थोड़ा बहुत खाने की चीजें पानी उपलब्ध करा रहा है ।इस प्रकार छोटे-छोटे सहयोग अपने अपने स्तर पर जो भी कर रहे हैं वह सब बधाई के पात्र हैं माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर इस घड़ी में जो सेवाएं दे रहे हैं जैसे कि नर्सेस,डॉक्टर, पुलिसकर्मी, प्रशासन, सेना, पत्रकार बंधु भगिनी आदि जो भी सहायता दे रहे हैं उन्हें हृदय पूर्वक अभिनंदन आभार ।हरेश्याम जी ने सेवा कार्य संत पुरुषों से सीखा। वह भारत रत्न नानाजी देशमुख जी के सही सिपाही बनकर परम पूज्यनीय संत श्री श्री 1008 रामाश्रय दास जी महाराज जी को नमन करते हुए डॉ . भरत पाठक,डॉ. नंदिता पाठक,डॉ बी के जैन ,श्रीमती उषा जैन जी जैसे लोगों का ऋणी रहेगा।वैसे हरेश्याम ने कहा कि यह तो उनका दायित्व है। आज घर से बाहर निकले सभी कर्मी वास्तव में हमारी सेवा कर रहे है। हमारे प्राण बचाने के लिए अपने प्राण संकट में डाल रहे है। ऐसे में अगर हम उनका ख्याल रखते है तो कोई बड़ी बात नही है।

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