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श्री कामदगिरि परिक्रमा में स्वच्छंद विचरण करते हैं सुअर व बकरियां
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परिक्रमा के किनारे रहने वाले नगर परिषद के कर्मचारी पालते हैं सुअर व बकरियां
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एससीएसटी कानून का भय दिखाकर गाली देते हैं लोग
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कई बार उप्र के क्षेत्र में सुअरों को पकड़ने की कोशिश रही नाकाम
रिपोर्ट – संदीप रिछारिया
धर्मक्षेत्र। चित्रकूट की नगर पंचायत के दैनिक व परमानेंट सफाई कर्मचारी ही श्री कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर गंदगी फैलाने का काम करते दिखाई दे रहे हैं। हैरत की बात यह है कि नगर परिषद चित्रकूट ने इन्हीं कर्मचारियों को श्री कामदगिरि परिक्रमा में सुअर न घुसने देने की जिम्मेदारी दे रखी है। तमाम तरह की कवायत के बाद अब नगर परिषद के स्वच्छता प्रभारी ने अपने आपको केवल कूड़े की सफाई करने के काम में समेट लिया है। मप्र क्षेत्र से कई बार सुअर यूपी के क्षेत्र में आ जाते हैं, जिसको लेकर कई बार नगर पालिका परिषद के कर्मचारियों ने उनहें पकड़ने का प्रयास किया, पर हर बार सुअर मप्र क्षेत्र में भाग जाते हैं।
श्री कामदगिरि परिक्रमा क्षेत्र में संतों की भावनाओं व आदर की परंपरा का हृास होता दिखाई दे रहा है। श्री कामदगिरि परिक्रमा की सफाई के लिए बसाए गए परिवार ही पवित्र क्षेत्र में गंदगी के मुख्य वाहक होते दिखाई दे रहे हैं। श्रीकामदगिरि परिक्रमा पथ के साथ पर्वत पर खुले आम घूमते सुअर व बकरियों को खुद पूर्व मुख्यमंत्री ने भी देखा। इस तरह से फैल रही गंदगी की चर्चा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी की थी। उन्होंने कहा कि श्रीकामदगिरि परिक्रमा क्षेत्र अत्यंत पवित्र है। यहां पर तो एक-एक पत्थर मंदिरों के अंदर की परिक्रमा की तरह चमकना चाहिए। यहां पर तो गंदगी किसी भी कीमत में बर्दास्त नहीं की जानी चाहिए। एमपी क्षेत्र के चित्रकूट को पवित्रनगरी के साथ मिनी स्मार्ट सिटी बनाए जाने को भाजपा का ठकोसला बताते हुए कहा कि जिस स्थान का विकास अंर्तराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर करना चाहिए, वहां पर सुअर व बकरियां घूमकर गंदगी फैला रहे हैं और सरकारी तंत्र चुपचाप बैठा है।
कामतानाथ प्रमुख द्वार के आगे बड़े हनुमान मंदिर के बगल में बकरियां घूमती मिलीं। इससे आगे बढने वर जगह-जगह बकरियों की लेड़ी व बकरियां मिलीं। वहीं पास के पहाड़ पर बकरियां व सुअर पहाड़ पर घूमते दिखाई दिए। आगे कामतानाथ मुख्य द्वार के बाहर भी बकरियां काफी संख्या मे दिखाई दीं तो चक्रतीर्थ के पहले व बाद में पहाड़ पर सुअरों का झुंड दिखाई दिया। इतना ही नहीं महानिर्वाणी अखाड़ा, चिकनी मंदिर के पास भी बकरियां व सुअर घूमते हुए दिखाई दिए। पास के तालाब में भी सुअर लोटते हुए मिले। आगे बढ़ने पर पर्यटन सूचना केद्र, बिरजाकुंड के पास व पारसमणि मंदिर के पहले, भरत मिलाप के बाहर, खोही गांव के पहले, बरहा हनुमान मंदिर के पास, चोपड़ा मंदिर के पास, प्राचीन हनुमान मंदिर के पास व कुशवाहा धर्मशाला के सामने बकरियां बंधी मिलीं। बकरियों को आतंक फैलाते दघिमुख मंदिर के पास भी देखा गया।
अब यह सवाल उठता है कि लगभग पांच किलोमीटर के परिक्रमा पथ पर लगभग हर स्थान पर बकरियों व सुअरों के दर्शन हो रहे हैं तो ऐसे में श्री कामदगिरि परिक्रमा व पर्वत कैसे सही रह सकता है।
कामतन गांव के रहने वाले मुन्ना भाई कहते हैं कि सुअरों का पालन कामतन गांव के पास रहने वाले लोग ही करते हैं। उनके सुअर ही श्री कामतानाथ के आसपास घूमते रहते हैं। अगर इनसे बात की जाती है तो यह लोग लड़ने पर आमादा हो जाते हैं और मुकदमा लिखाने की धमकी देते हैं।
परिक्रमा में रहने वाले साधुओं का कहना है कि क्या किया जाए हम तो यहां पर पवित्र भावना के साथ परिक्रमा लगाते हैं, पर जब हम लोग सुअर व बकरियों को पर्वत पर विचरण करते देखते हैं तो हमारी भावनाएं आहत होती हैं। क्या करें इनको पालने वाले दुस्ट लोग हैं जो न तो संतों की भावनाओं का सम्मान करते हैं, और बात करने पर लड़ने के लिए अमादा हो जाते हैं।
वहीं कानपुर से आई कई महिलाओं ने कहा कि कामदगिरि परिक्रमा में बकरियां व सुअर को देखकर मन विचलित हो जाता है। इनको रोकने की जिम्मेदारी नगर पालिका व नगर पंचायत की है। लेकिन जब नगर पंचायत में काम करने वाले लोग ही ऐसा कर रहे हैं तो फिर किससे सही काम की उम्मीद की जाए।