मौदहा हमीरपुर।। प्रदेश सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद भी क्षेत्र की गौशालाओं में बंद गौवंशों की स्थिति में सुधार होता नजर नहीं आ रहा कहीं भूख तो कहीं प्यास तो कहीं गंभीर बीमारियों से तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे गौवंश।
विकासखंड की ग्राम पंचायतों में स्थित गौशालाओं में भूख प्यास से तड़प तड़प कर गौवंश दम तोड़ रहे हैं। बताते चलें कि बिकास खंड की ग्राम पंचायत बैजेमऊ में अव्यवस्था के चलते तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे गौवंश। यहां की गौशाला में एक सप्ताह के दौरान लगभग 05 गौवंशों की मौत हो गई। गांव निवासी शिशुपाल ने बताया कि यहां की गौशाला में बंद गौवंशों के खाने की कोई व्यवस्था नहीं है उनके पीने के लिए गौशाला के अंदर ही एक बड़ा तालाब नुमा गड्ढा खोदकर उसमें पानी भर दिया गया है जिससे वह सभी गोवंश अपनी प्यास वहीं बुझाते हैं और भूख से तड़प तड़प कर वह मर जाते हैं तो उन्हें खींचकर सड़क किनारे आस-पास ही फेंक दिया जाता है जिससे सड़न पैदा होकर भारी दुर्गंध उत्पन्न होती है और कुत्ते नोच नोच कर उन्हें अपना भोजन बनाते हैं लंबरदार प्रधान होने के चलते कोई उनसे इस बात को कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता वही गांव निवासी राजकुमारी वर्मा ने बताया कि गांव में बनी गौशाला के अंदर गौवंशो को खाने के लिए भूसे की व्यवस्था नहीं की गई है तथा इनकी रखवाली के लिए तैनात तीन चौकीदार जो दिन में चरवाहे का कार्य भी करते हैं और दोपहर 12:00 बजे के लगभग गौशाला से निकालकर खेतों की ओर ले जाते हैं और शाम होते होते उन्हें वापस लाकर गौशाला में कैद कर दिया जाता है इतने कम समय में भला गोवंश अपना पेट कैसे भर पाएंगे यही कारण है कि भूख प्यास से तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे हैं एक समय था कि इस गौशाला में अन्ना गौवंशों की संख्या काफी अधिक थी परंतु वर्तमान समय में इनकी संख्या ना के बराबर है। लेकिन गोवंशों की मौत का दर्द न सरकार को है,न ही उनके जिम्मेदारों को आखिर योगी सरकार में इन बेजुबान गोवंशों की मौत का जिम्मेदार कौन हैं।एक तरफ सरकार हिंदू धर्म की दुहाई देकर बडी़ बडी़ बातें करती हैं।वहीं दूसरी ओर हिंदूओं की गोमाताओं को गोशाला रुपी कसाईखाने में बंद कर मरने कों मजबूर छोड़ दिया है। उनके जिम्मेदार इतने स्वार्थी बन गए हैं कि उनका जरा सा भी दर्द दिखायी नहीं दे रहा है।
जहां पर जीवित गोवंशों को आदमखोर कुत्ते नोंच नोंचकर खा जाते हैं, लेकिन कोई भी जिम्मेदार इनके ओर हाथ बडा़ कर साहयता के लिए तैयार नहीं है।शीतलहर की सर्दी में ठण्ड एवं भूख से व्याकुल होकर अपना दम तोड़ रहे हैं।यदि सरकार की कागज पूर्ति नियमों की बात कि जायें तो उनके जिम्मेदार अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि पूरा ग्राउण्ड तैयार कर सभी मूलभूत सुविधाओं से तैयार गौशालाओं की बात करते हैं।लेकिन यदि योगी सरकार के जिम्मेदारों की हकीकत जाननी हो तो जीता जागता उदाहरण ग्राम पंचायत बैजेमऊ गौशाला में उपलब्ध हैं।
जहां पर खुले टीनसेट के नीचें शीतलहर सर्दी से बचने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं है, गौवंश तड़प तड़प कर दम तोड़ते हुए,देखे जा सकते हैं।जब इस संबंध में अधिकारी से सम्पर्क साधा तो सदैव की भांति उनका टेलीफोन बंद होने के कारण सम्पर्क नहीं हो सका।
एमडी प्रजापति रिपोर्ट