घरार नदी को अपने श्रमदान से पुनर्जीवित करने भागीरथों के प्रयास में आया नया मोड़

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  • प्रशासन ने कामगारों के प्रयासों को धता बता , मनरेगा का गाडा शिलापट

  • अब योगी मजदूरों को नहीं बीडीओ को करेंगे सम्मानित ?

राकेश कुमार अग्रवाल की रिपोर्ट

बांदा। अपने श्रमदान से मृतपाय घरार नदी को पुनर्जीवन देने वाले श्रमवीरों के पुरुषार्थ से आल्हादित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उन्हें सम्मानित करने के ऐलान के बाद प्रशासनिक अमले में श्रेय लेने की होड लग गई है। बीडीओ ने दो कदम आगे बढकर नदी स्थल पर मनरेगा का शिलापट ही गडवा दिया है। जिससे श्रमिकों में रोष उत्पन्न हो गया है।

कहते हैं कि विफलता का कोई साथी नहीं होता और सफलता का श्रेय लेने के लिए अनेकों भागीदार बन जाते हैं। कमोवेश ऐसा ही आजकल बांदा जिले के नरैनी विकास खंड के भांवरपुर मजरा में चल रहा है। जहां महानगरों से लौटकर अपने गांव आए मजदूरों को मनरेगा से काम न मिलने पर उन्होने घरार नदी में वर्षों से जमी सिल्ट हटाने का काम शुरु किया। सिल्ट हटते ही जलधारायें फूटने लगीं। मीडिया ने श्रमिकों के भागीरथी प्रयास को प्रमुखता से उठाया। जिसकी खबर शासन तक पहुंची. और मुख्यमंत्री योगी ने श्रमवीरों को सम्मानित करने का ऐलान कर दिया।
इस ऐलान के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है।
दो दिन से सीडीओ लगातार अवलोकन के लिए पहुंच रहे हैं। बीडीओ ने तो मौके पर मनरेगा का शिलापट लगवा दिया है कि उक्त कार्य मजदूरों द्वारा मनरेगा से कराया गया है। और तो और बीडीओ घर घर जाकर लोगों को समझा रहे हैं कि कोई पूछे तो कह देना कि मनरेगा से खुदाई हुई है। यहां तक कि डी सिल्टिंग का काम मनरेगा से साबित करने के लिए फर्जी मस्टर रोल तैयार किए जा रहे हैं।

जिससे मजदूरों में भारी रोष व्याप्त हो गया है. बाहर से लौटे कामगारों ने मौके पर ही बैठकर मनरेगा के कार्यो का बहिष्कार करने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि यदि इतनी त्वरित गति से मजदूरों का भुगतान किया गया होता तो मजदूरों का भला होता।
रामसजीवन ने कहा कि मनरेगा का काम दर्शाकर बीडिओ खुद सम्मानित होना चाहते हैं। ये मजदूरों के श्रम के साथ खिलवाड है।

दूसरी ओर झंडूपुरवा, नौगवा, सुलखान का पुरवा, पिपरहरी, बाबूपुरवा, चौबेपुरवा, माऊसिंह का पुरवा, नीबी, कठैतापुरवा, और चौकिन में वापस लौटे कामगारों ने भी प्रशासन के इस कदम की खिलाफत की है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि बीडिओ मनरेगा का शिलापट नहीं हटवाते हैं तो वे सभी मनरेगा कार्यों का बहिष्कार करेंगे।

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