जगदगुरु रामभद्राचार्य हुए लाइव, शिष्यों को दिया आशीर्वाद

27

चित्रकूट । गुरू शिष्य परंपरा में गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर केंद्र सरकार और जिला प्रशासन द्वारा कोरोना बीमारी संबंधित निर्देश के अनुपालन मे चित्रकूटतुलसीपीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी का तुलसी पीठ में गुरू पूजन का आयोजन किया गया। जिसमें राघव सरकार व जगदगुरु रामभद्राचार्य जी का तिलक व शाल , श्रीफल , कपूर की माला पहनाकर पूजन युवराज आचार्य रामचन्द्र दास ने किया। जगदगुरु ने महामारी के कारण देश – विदेश में फैले राघव परिवार के लाखों भक्तों को अपना आशीर्वाद संस्कार टीवी चैनल के माध्यम से दिया। जगदगुरु ने कहा कि भगवान राघवेंद्र सरकार तुलसी पीठ के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास तथा सभी धर्म नुरागी भाईयों बहनों को अनेक अनेक मंगलानुशासन क्षापित कर रहा हूँ। आज के ही दिन 5 हजार 900 वषों पहले इसी उत्तर प्रदेश के कालपी यमुना के तट पर महर्षि वेदव्यास जी का आविर्भाव हुआ था। वेदव्यास ने साक्षात भगवान के अवतार थे। वैसे ही वेदव्यास की रामानंदाचार्य परंपरा मे ही सीता जी से ही प्रारंभ करें तो 7 वे आचार्य के रूप में वेदव्यास हैं। इसके बाद जगदगुरु आद्य रामानंदाचार्य जी थे। मैं इस पद पर चतुर्थ रामानंदाचार्य हू। मैं भी प्रस्थानत्रयी पर भाष्यकार हूँ। मैने भी वशिष्ठ गोत्रीय ब्राम्हण परिवार में जन्म लिया हूं। हमारी गुरु परंपरा बहुत ही प्राचीन परंपरा है। पहले किसे कहते थे गुरू ? गुरु कौन होता है? गु- अंधकार । रू – नष्ट करने वाला । जो जीवन के अंधकार को दूर कर देता है उसे ही गुरु कहते हैं। गुरू वहीं होता था जो वैदिक साहित्य परंपरा मे विश्वास तथा वेदशास्त्र के माध्यम से निदान करता था। मैंने भी प्रस्थानत्रयी पर भाष्य लिखा है और आज की तिथि तक कुल मिलाकर 212 पुस्तकें की रचना की है।यह मेरा गौरव हैं। जो गुरु की कृपा से गौरव प्राप्त होती हैं उसे ही गौरव कहते हैं। भगवान की कृपा को हम नकार सकते हैं लेकिन गुरु की कृपा को नहीं नकार सकते हैं। आज जगदगुरु रामभद्राचार्य गुरू पूर्णिमा के इस अवसर पर देश – विदेश में राघव परिवार के सभी गुरु – भाई बहनों को बहुत बहुत आशीर्वाद देता हूँ। इस अवसर पर आचार्य रामचन्द्र दास जी ने कहा कि वैश्विक कोरोना महामारी के कारण विश्व भर में पूज्य गुरुदेव के फैले दीक्षित शिष्यों के लिए संस्कार चैनल के माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त होगा। पिछले महोत्सव में लाखों लोगों की भीड आती थी लेकिन इस बार ऐसा संभव नहीं है इसका कारण है कि खुद को सुरक्षित रखते हुये अपने परिवार को सुरक्षित रखे व घर बैठ कर ही गुरु वाणी का आशीर्वाद ले । हम सभी महर्षि वेदव्यास जी को तो नहीं देख सकते है लेकिन आज के वेदव्यास जगदगुरु हैं जो कि हमेशा सभी भक्तों को महाकवि ,भाष्यकार , का दर्शन व साक्षात्कार होता है। आज इस अवसर पर इस संस्थान की सब कुछ करने वाली साकेतवासिनी बुआजी जी को नमन करते हुए उन्हें भी वंदन करता हूँ। हमेशा बुआजी गुरू जी की चरण वंदन करती थी ।मैं उनकी प्रतिनिधि के रूप में तुलसीपीठ की तरफ से गुरु पुजन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आप सभी गुरुदेव के चरणों में अपने अपने प्रणाम निवेदन करें। इस अवसर पर दिबयांग विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो0 योगेश चंद दुबे , कुलसचिव डा.महेंद्र कुमार उपाध्याय , वित्त अधिकारी आर पी मिश्रा , लेखाधिकारी एन बी गोयल जी सहित तुलसीपीठ के साधु- संतों ने गुरु पूजन किया। इस आशय की जानकारी पीआरओ एस पी मिश्रा ने दी।

Click