डेढ़ सैकड़ा से अधिक मजदूरों को वन विभाग के अफसरों ने खदेड़ा

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  • खरका तालाब की डीसिल्टिंग को लेकर वन विभाग व खंड विकास अफसरों में ठनी
  • लाकडाउन में फिर छिना मजदूरों के हाथ से काम

राकेश कुमार अग्रवाल
वरिष्ठ संवाददाता

कुलपहाड (महोबा)। निकटवर्ती ग्राम बेलाताल में खरका तालाब की डीसिल्टिंग को लेकर खंड विकास व वन विभाग में ठन गई है। तालाब की खुदाई करने गए डेढ़ सैकड़ा मजदूरों को वन विभाग के असलहाधारी अफसरों ने खदेड़ कर दौड़ा दिया। मामले पर उच्च प्रशासनिक अफसरों ने चुप्पी साध रखी है भगाए गए मजदूरों को अभी तक कोई काम नहीं मिला जिससे उनके परिवारों को खाने की समस्या उत्पन्न हो गई है।

बेलाताल के निर्माणाधीन डिग्री कॉलेज के पास विशाल खरका तालाब है। जिसका पानी आसपास के खेतों की सिंचाई व पशु – पक्षियों की प्यास बुझाने के काम आता है. ग्राम पंचायत जैतपुर ने वापस घर लौटे तमाम मजदूरों को मनरेगा योजना के तहत काम पर लगाया है। ताकि मानसून से पूर्व खरका तालाब में जल संरक्षण करने के उद्देश्य से लगभग 154 मजदूरों को गुरुवार से तालाब की गाद – मिट्टी निकालने का काम सौंपा था।

सुबह से मजदूरों ने खुदाई कर दिन भर पसीना बहाया। अपरान्ह 3:00 बजे वन विभाग की एक गाड़ी से आए बंदूकधारी अफसरों ने धमका कर मजदूरों को वहां से फटकार कर भगा दिया। चेतावनी भी दी कि दोबारा ना आना वरना अंजाम बुरा होगा।

खबर मिलते ही प्रधान प्रतिनिधि मौला बक्स खंड विकास अधिकारी से मिले और उन्हें घटना से अवगत कराया .खंड विकास अधिकारी प्रशांत ने वन रेंज अधिकारी बीवी सिंह से वार्ता की। वन रेंज अधिकारी ने कहा कि तालाब का रकवा वन विभाग के अंतर्गत आता है ऐसे में ग्राम पंचायत वहां काम नहीं करा सकता। खंड विकास अधिकारी ने मजदूरों को रोजगार देने की मंशा बताई पर वन रेंज अधिकारी नहीं माने। मामले की जानकारी एसडीएम मोहम्मद अवेश को देकर खरका तालाब के क्षेत्रफल राजस्व या वन भूमि में होने की बात कह कर माप कराने की मांग की । दो विभागों की आपसी लड़ाई में डेढ़ सैकड़ा से अधिक मजदूरों के घर 2 दिन से चूल्हा न जलने की चर्चा दिन भर लोगों की जुबान पर बनी रही।

क्या कहते हैं जिम्मेवार

वन रेंज अधिकारी बीवी सिंह कहते हैं कि खरका तालाब वन विभाग की जमीन में बना है। वन क्षेत्र में कोई भी दूसरी कार्यदायी संस्था काम नहीं करा सकती। मनरेगा के तहत यदि उनके विभाग को पैसा मिले तो वह तालाब की खुदाई कराने को तैयार हैं ।
वहीं खंड विकास अधिकारी प्रशांत कुमार कहते हैं कि पूर्व के वर्षों में मनरेगा का लाखों रुपए वन विभाग को सौंपा गया पर वन विभाग ने मनरेगा का एक पैसा भी खर्च नहीं किया। बताया खरका तालाब का पानी व भूमि का कोई उपयोग कतई न करने का लिखित अनुरोध करने के बाद भी वन विभाग मजदूरों को काम नहीं करने दे रहा है।

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