बदसूरत होने के कारण कोई दुत्कार कर न भगा दे
राकेश कुमार अग्रवाल
कुलपहाड (महोबा)। सात किमी. दूर से पैदल चलकर आई एक बूढी महिला स्टेट बैंक की चौखट पर सुबह चार बजे से पैसे निकालने के लिए आ कर बैठ गई है। इतने तडके वह बैंक के बाहर इसलिए आकर बैठ गई है कि उसकी बदसूरती देखकर कोई उसे दुत्कार कर न भगा दे।
एक तो गरीबी, दूसरा बुढापा, तीसरा बदसूरती और चौथा लाॅकडाउन ऐसा लगता है कि बेनीबाई पर चारों मार एक साथ पड रही हैं। ७० वर्षीया बेनीबाई उम्र के चौथेपन में अपनी किस्मत को कोस रही है। पापी पेट के लिए इस उम्र में जब शरीर साथ नहीं दे रहा तब बेनीबाई जीने की जद्दोजहद कर रही है। गांव के लोगों ने जब बताया कि बैंक में पैसा आ गया है तो बेनीबाई पत्नी गोरेलाल आवागमन साधन न होने पर पैदल ही चल कर कुलपहाड आ गई। बदसूरत होने के कारण गांव के लोग उससे दूर भागते हैं इसलिए बेनीबाई तडके कुलपहाड आ गई कि बैंक में लोगों का जमावडा हो और लोग उसे हिकारत की नजर से देखें इसके पहले वह पैसे लेकर बैंक से चली जाए।