कोविड-19 से बचाव हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में दिए जा रहे हैं मास्क एवं साबुन
चित्रकूट – कोरोना महामारी के कारण लाॅकडाउन के चलते आजीविका का संकट खड़ा होने के कारण लाखों लाख प्रवासी मजदूरों के शहरों से अपने गांव-घर वापस लौटने का सिलसिला अभी भी निरंतर जारी है।
यही हालात उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जनपद एवं मध्य प्रदेश के मझगवां जनपद में भी है, इन क्षेत्रों के भी हजारों प्रवासी मजदूरों के अपने घरों को लौटने की कवायद जारी है।
पिछले कई दिनों से चित्रकूट के मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की सीमा से गुजर कर सैकड़ों की तादाद में मजदूर अपने घर गांव वापस आ रहे हैं। इस दौरान स्वयंसेवी संस्थाएं भी बढ़-चढ़कर उनके भोजन-पानी की चिंता करने में लगी हुई है।
इसमें दीनदयाल शोध संस्थान के विभिन्न प्रकल्पों एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ राष्ट्र सेविका समिति चित्रकूट नगर की बहिनों के द्वारा पिछले दो हफ्तों से अनवरत भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा अपनी समन्वय टीम के माध्यम से गांव-गांव कोरोना वायरस से बचाव और सुरक्षा के उपायों के बारे में डोर टू डोर जानकारी दी जा रही है एवं दीवाल लेखन किया जा रहा है।
लाॅकडाउन में रोजाना जगह-जगह जो चित्र देखने को मिल रहे हैं, उस हिसाब से देश के बड़े-बड़े महानगरों में रोजी-रोटी की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य में काम कर रहे देश भर के लाखों प्रवासी मजदूरों का भविष्य अनिश्चित हो गया है। आपदा बनकर आई कोरोना महामारी ने उनकी सुरक्षा पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। उनके रोजगार एवं नौकरी के रास्ते भी मंद पड़ गए हैं।
ऐसे में एक-एक हजार किलोमीटर दूर दराज महानगरों से मजदूर एवं कामगार अपने परिवार एवं बच्चों की गृहस्थी का बोझ लादकर अपनी मंजिल की ओर चल पड़े हैं। आगे की उनकी मंजिल उन्हें किस रास्ते पर ले जाएगी पता नहीं, लेकिन अपने गांव-घर पहुंचकर सुकून की लंबी सांस जरूर लेंगे।
चित्रकूट की सीमा से गुजरने वाले इन प्रवासी मजदूरों को दीनदयाल शोध संस्थान, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं राष्ट्र सेविका समिति के सहयोग से रोजाना भोजन के 300 पैकेट बांटे जा रहे हैं।
दीनदयाल शोध संस्थान जन शिक्षण संस्थान के कार्यकारी निदेशक राजेंद्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, रामदर्शन एवं चित्रकूट नगर की राष्ट्र सेविका समिति इकाई की बहिनों के सहयोग से प्रतिदिन भोजन के पैकेट तैयार कराए जा रहे हैं, उसके बाद दो टीमों के माध्यम से चित्रकूट के रजौला बाईपास और रामदर्शन के आगे काउंटर लगाकर भोजन प्रसाद उपलब्ध कराया जा रहा है।