उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के फेस-3 के काम को लेकर समीक्षा की. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, जिसे भारत के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे में से एक माना जा रहा है, उसके नवंबर तक तैयार होने की उम्मीद है. सरकार यह उम्मीद कर रही है कि इस साल दिवाली से इसे चालू कर दिया जाएगा. इसे पूरा करने के लिए डेडलाइन 2021 थी. हालांकि, हाल ही में किए गए एक ट्वीट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि इसका निर्माण कार्य इस साल ही पूरा कर लिया जाएगा. लखनऊ जिले के चंद सराय से शुरू होकर यह हाइवे गाजीपुर जिले के हैदरिया में खत्म होगा.
दिसंबर 2016 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट की शुरुआत दिसंबर 2016 में हुई थी और इसे तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लॉन्च किया था. उसके बाद प्रोजेक्ट को कुछ बदलावों औरपूर्वांचल एक्सप्रेसवे के लिए पूरी जमीन के अधिग्रहण के साथ जारी रखा गया. हाईवे को वाराणसी के साथ एक अलग लिंक रोड के जरिए जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही प्रोजेक्ट से उत्तर प्रदेश के नौ जिलों को आपस में जोड़ा जाएगा जिसमें गाजीपुर, लखनऊ, आजमगढ़, फैजाबाद, अमेठी, अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, बाराबंकी और मऊ शामिल हैं.
प्रोजेक्ट की लागत 22,000 करोड़
340 किलोमीटर की दूरी वाले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की लागत 22,000 करोड़ रुपये है जिसमें जमीन अधिग्रहण की कीमत भी शामिल है. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को दिल्ली से भी जोड़ा जाएगा. दिल्ली को 165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेसवे के जरिए जोड़ा जाएगा जो आगरा-ग्रेटर नोएडा से गुजरता है. उसे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा जाएगा जो 302 किलोमीटर लंबा है.
इस बीच उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEIDA) एक मोबाइल लॉन्च करनी की योजना है जो सभी निर्माण कार्यों को मॉनिटर करने को लेकर मदद करेगा. मोबाइल ऐप से आम आदमी को सभी निर्माण कार्यों के बारे में जानकारी रहेगी और उन्हें राज्य के सभी नौ जिलों से गुजरने वाले एक्सप्रेसवे के बारे में जानकारी रहेगी.