रिपोर्ट – अनुज मौर्य /मनीष श्रीवास्तव
न्यूज डेस्क – 17 सितंबर, 2020 को विश्वकर्मा दिवस मनाया जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को यह दिवस मनाया जाता है। ऐसा मानते हैं कि इस दिन देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था।
कहते हैं कि प्राचीन काल की सभी राजधानियों का निर्माण देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था ।
इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दिन उद्योगों फैक्ट्रियों व मशीनों की पूजा की जाती है । यह पूजा उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो कलाकार शिल्पकार व व्यापारी हैं । ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है। अतः सुख समृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।
कथा –
पौराणिक कथा के अनुसार, इस समस्त ब्रह्मांड की रचना श्री विश्वकर्मा जी के हाथों से ही हुई है ।
ऋग्वेद के 10 वीं अध्याय के 121 वें सूक्त में लिखा गया है कि विश्वकर्मा जी के द्वारा ही धरती, आकाश और जल की रचना की गई है ।
विश्वकर्मा पुराण के अनुसार, आदिनारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्मा जी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की थी ।
कहीं कहीं कहा जाता है कि भगवान वासुदेव के पुत्र श्री विश्वकर्मा जी हुए। भगवान विश्वकर्मा के जन्म को देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से माना जाता है ।
पौराणिक युग के अस्त्र और शस्त्र भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही निर्मित किये गये थे । वज्र का निर्माण भी आपने किया था। भगवान शंकर का त्रिशूल और भगवान विष्णु का चक्र भी उन्होंने ही निर्मित किया था, ऐसा माना जाता है ।
कहते हैं कि, भगवान शिव ने एक बार माता पार्वती के लिए एक महल का निर्माण करने की सोची और इसकी जिम्मेदारी शिव जी ने भगवान विश्वकर्मा को दी । तब भगवान विश्वकर्मा ने सोने के एक बेहद खूबसूरत महल को बना दिया । इस महल की पूजा के लिए भगवान शिव ने रावण को बुलाया । लेकिन रावण महल को देखकर इतना मंत्रमुग्ध हो गया कि उसने पूजा के बाद दक्षिणा के रूप में इस महल को ही मांग लिया ।
भगवान शिव ने तब वह महल रावण को सौंपकर, खुद कैलाश पर्वत पर चले गए । इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगर का निर्माण भी किया । कौरव वंश के लिए हस्तिनापुर और भगवान श्री कृष्ण की द्वारिकानगरी का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया ।
श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान।
श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान।।